उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर शहर की एक अदालत ने बाहुबली राजनेता मुख़्तार अंसारी के साथ-साथ उनके भाई और बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफ़ज़ाल अंसारी को भी गैंस्टर एक्ट के तहत सज़ा सुनाई है.मुख़्तार अंसारी को जहां दस साल जेल की सज़ा सुनाई गई है, वहीं, अफ़ज़ाल अंसारी को चार साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई है.एमपी-एमएलए कोर्ट के एडिश्नल सेशन जज दुर्गेश के इस फ़ैसले के बाद अफ़ज़ाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो सकती है.
गाजीपुर की MP MLA कोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट में बाहुबली मुख्तार अंसारी को दस साल जेल की सजा सुनाई है। साथ ही पांच लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। मुख्तार के भाई और सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल जेल की सजा मिली है। अब उनकी लोकसभा सदस्यता जानी तय है।
पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और भाई बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी के लिए शनिवार का दिन बड़ा रहा। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था। वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज है। दोनों भाईयों के खिलाफ मुहम्मदाबाद थाने में 2007 में क्राइम नंबर 1051 और 1052 दर्ज हुआ था।
रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपुल एक्ट के प्रावधानों के तहत अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो या अधिक सालों के लिए जेल की सज़ा सुनाई जाती है तो उस सदस्य की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी.
22 नवंबर, 2007 को गैंगस्टर एक्ट के तहत अफ़ज़ाल अंसारी और मुख़्तार अंसारी के ख़िलाफ़ मोहम्मदाबाद कोतवाली पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया गया था.समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 23 सितंबर, 2022 को दोनों के ख़िलाफ़ आरोप तय कर दिए गए थे. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था जिसका एलान शनिवार को कर दिया गया.
कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने बीबीसी से बताया कि “इस मामले में 2007 में गैंगस्टर ऐक्ट के तहत अफ़ज़ाल अंसारी, मुख़्तार अंसारी और बहनोई एज़ाजुल हक़ पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.”
इस पूरे मामले के ट्रायल और सज़ा को लेकर पीयूष राय कहते हैं कि “पहले की जो भी सरकारें रही हैं, उनके ना इरादे नेक रहे हैं और ना ही उनका मक़सद सही रहा है. उनके लिए अपराधियों को पालना पोसना एक अपना व्यवसाय था और जब से ये बीजेपी की सरकार आई है उसमे कम से कम इतना रहा है कि गवाहों को बिना भय अपनी गवाही करने का मौका मिला है. किसी भी अपराधी को संरक्षण नहीं मिला है जीरो टॉलरेंस की नीति जो भी रही है सरकार की उसको ग्राउंड पर लागू भी किया गया है जिसके चलते यही हो रहा है कि हम अपनी गवाही ठीक से कर सके.
पीयूष राय कहते हैं, – उनके पिता जी हत्या का जो मुख्य मुक़दमा है जिसमें निचली अदालत से मुख़्तार अंसारी को बरी कर दिया गया था उस मुक़दमे में सीबीआई द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है उसमें भी जल्दी सुनवाई होने वाली है.
कृष्णानंद राय केस
1985 से अंसारी परिवार के पास रही गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट 17 साल बाद 2002 के चुनाव में उनसे बीजेपी के कृष्णानंद राय ने छीन ली. लेकिन वे विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, तीन साल बाद उनकी हत्या कर दी गई.
वह एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे कि तभी उनकी बुलेट प्रूफ़ टाटा सूमो गाड़ी को चारों तरफ़ से घेर कर अंधाधुंध फ़ायरिंग की गई. हमले के लिए स्पॉट ऐसी सड़क को चुना गया था जहां से गाड़ी दाएँ-बाएँ मोड़ने का कोई स्कोप नहीं था.
कृष्णानंद के साथ कुल 6 और लोग गाड़ी में थे. एके-47 से तक़रीबन 500 गोलियां चलाई गईं, सभी सातों लोग मारे गए.जानकारों के अनुसार ग़ाज़ीपुर की अपनी पुरानी पारिवारिक सीट हार जाने से मुख़्तार अंसारी नाराज़ थे. कृष्णानंद हत्याकांड के वक़्त में जेल में बंद होने के बावजूद मुख़्तार अंसारी को इस हत्याकांड में नामज़द किया गया.
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