पढ़ेगें भी और ओलम्पियाड भी जीतेगें ?
उधमसिहं नगर काशीपुर (GKM news अज़हर मलिक रिपोर्ट) आईऐ आज हम आपकों एक ऐसे स्कूल में ले चलते हैं. जहां के आध्यापक बच्चों को ओलम्पियाड की तैयारी करा रहे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि काशीपुर के एक विधालय में बच्चें स्कूल की छातों पर चढ़ाई कर रहे हैं.और छातों पर दौड़ रहे हैं. खास बात यह है कि स्कूल की छात पर सिढ़ीयां भी नहीं हैं. ऐसे में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता हैं. वन इंडिया लगातार जनित मुद्दों को प्रकाशित करता रहा है कभी नशे के खिलाफ तो कभी स्कूलों के नाम पर चल रहे फर्जी स्कूलों के काले कारोबार को लेकिन इस बार जो खबर हम आपको दिखाने जा रहे हैं उसे देख कर दंग रह जाओगे। या तो आप अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में शिक्षा देना बंद कर दोगे। पेश खास रिपोर्ट …….. रात को सोने से पहले सुबह अपने बच्चे को स्कूल भेजने की तैयारी करती है और सुबह जल्दी उठकर अपने मासूम बच्चे को तैयार करने में लग जाती है और पिता अपने बच्चे की जिंदगी संवारने के लिए दिन रात मेहनत कर कर उसे अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश करता है और बच्चे की भविष्य की खातिर भरोसे पर और 6 से 7 घंटे एक अध्यापक के भरोसे उसे छोड़ कर आ जाता है। वही अध्यापकों की लापरवाही बड़े हादसे को दावत देती हुई नजर आ रही है यह लापरवाही आपके घर के चिराग को हमेशा के लिए भी बुझा सकता है ग्राम बैल जोड़ी में एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैल जोड़ी नाम से एक स्कूल संचालित है जा बच्चे स्कूल के समय पर स्कूल की छतों पर बिना जीने की चढ़ते हुए नजर आते हैं और विद्या पाने के समय बंदरों की तरह छत पर उछल कूद करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन अध्यापकों इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता वहीं जब अध्यापक से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने पहले तो इंटरवेल का हवाला देते हुए की इंटरवेल में तो बच्चे घूमते हैं वहीं जब दूसरा सवाल पूछा गया कि बच्चे बिना सीढ़ियों के छत पर चल रहे हैं तो जनाब बोलते हैं कि बच्चे शरारती तो होते हैं एक आद बच्चा चला जाता है। बाइट :- मो० सलीम…….अध्यापक वहीं जव स्थानीय लोगों से इस बारे में पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि सरकार सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए तो बोलती है और उनकी सुरक्षा के लाख दावे तो जरूर करती है लेकिन वास्तव में वह दावे धरातल पर दिखाई नहीं देते है। वहीं बरसात का टाइम है और बच्चे अध्यापकों की लापरवाही से स्कूल की छतों पर चढ़ते-उतरते दिखाई दे रहे हैं आखिर कोई बड़ा हादसा हो जाएगा तो अभिभावक किसके पास जाकर अपने बच्चे की जान वापसी की भीख मांगेंगे सरकार या अध्यापक या प्रशासन देखते-देखते कांग्रेस सरकार से भाजपा सरकार हो गई । लेकिन सरकारी विद्यालयों के समस्याएं आज भी बरकरार हैं। आखिर कब तक सरकार के दामन पर ऐसे सुस्त अधिकारी और अध्यापक दाग लगाते रहेंगे और देखने वाली बात होगी कि आख़िर कब तक सरकार ऐसा अधिकारी और अध्यापक के लिए कोई ठोस रणनीति बनाती है
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