खौफ की धक धक् अब होगी बंद ,क्युकी अब सरकार होगी मजबूर , जाने क्यों।  

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 नैनीताल {GKM  News समीर शाह } जी है सही पड़ी हैडिंग आपने , खौफ की धक  धक  अब होगी बंद। सरकार के प्रवासी उत्तराखंडियों को वापसी लेन पर जहा  प्रवासी और उनके नाते रिश्तेदार खुश थे , वही आम जन में यह खौफ भी था की कहि प्रवासियों के आने से अभी तक काफी हद तक सेफ ज़ोन में चल रहा कोरोना कहि अन्य राज्यों की तरह अनसेफ न हो जाए , क्युकी प्रवासियों की प्रदेश की सीमा  में आने के बाद कोई भी उचित जांच नहीं हो रही थी , लेकिन अब अब    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाहरी व राज्य में आ रहे प्रवासी लोंगों की राज्य की सीमाओं पर थर्मल टेस्टिंग के साथ साथ  रैपिड टेस्टिंग और एंटीजिंग टेस्टिंग की व्यवस्था करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को 15 मई तक समय दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण  व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के   वालिंटियरों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है  जो रिलीफ़ कैम्प में जाकर मौका मुआवना करेंगे और प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे। मामले की सुनवाई न्यायमुर्ति शुधांशू धुलिया व न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में हुई।

      मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सचिदानन्द डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कोरोना वायरस से बचाव के लिये घोषित लॉक डाउन से प्रभावित लोंगों की मदद करने की मांग की थी । इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों के करीब 40 हजार मजदूर हैं जबकि करीब 2 लाख उत्तराखंड के लोग जो अन्य राज्यों में फंसे हैं, उत्तराखंड आना चाह रहे हैं। जिन्होंने उत्तराखंड आने के लिये पंजीकरण भी कराया है। सरकार इन्हें लाने के प्रयास कर रही है । इस मामले ने हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 व इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट 1979 का पालन कर पा रही है या नहीं। आज सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि बाहरी राज्यो से आने वाले प्रवासियों की जांच व देखभाल के लिए राज्य सरकार ने 49 रिलीफ कैम्प लगाए गए है जिनमे जांच की जा रही है।
जाहिर है कोर्ट के इस आदेश से आम जन के मन में जो खौफ का माहौल बना था वो काफी हद तक दूर होगा साथ ही उत्तराखंड इस महामारी से महफूज रहेगा। 

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