इस साल भी मुश्किल भरी रहेगी, केदारनाथ यात्रा, 10 से 15 फीट जमा है बर्फ, ज़िला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से पूरी तरह काटा सम्पर्क..

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रूद्रप्रयाग (GKM news ) इस वर्ष भी केदारनाथ की यात्रा आसान नहीं होगी। गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ जमी है तो पैदल मार्ग बारिश के कारण जगह-जगह क्षतिग्रस्त हालत में है। अप्रैल माह में संभवतः भगवान केदारनाथ के कपाट खुल जायेंगे। ऐसे में प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह किस तरह से देश-विदेश के श्रद्धालुओं को सुगम व सरल यात्रा का अहसास कराती है। बता दें कि पिछले वर्ष 2019 की यात्रा भी भारी चुनौतियों भरी रही। पैदल मार्ग से बर्फ हटाना ही प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। 9 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट खुले तो देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे,

जिन्हें पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियरों का सामना करना पड़ा। यात्रा सीजन के दौरान सैकड़ों तीर्थयात्रियों को चोट लगी तो एक तीर्थयात्री की ग्लेशियर टूटने से मौत हो गई। इस बार भी गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक यात्रा करना किसी मुसीबत से कम नहीं है। दिसम्बर माह से हो रही बर्फवारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग सहित केदारपुरी बर्फ से लकदक है। मंदिर परिसर में दस से पन्द्रह फीट तक बर्फ जमा है। दिसंबर माह से ही धाम का जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से संपर्क कटा हुआ है। इन हालातों में आगामी यात्रा की तैयारियों को समय पर पूरा करना चुनौती से कम नहीं है। प्रदेश के चारधामों में तीन धामों गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित हो चुकी है।

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इन धामों के कपाट क्रमशः 26 (अक्षया तृतीया) और 30 अप्रैल को खुलने हैं। ऐसे में 11,750 फीट की ऊंचाई पर मेरु-सुमेरु पर्वत की तलहटी पर विराजमान भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के कपाट भी 26 से 29 अप्रैल के बीच खुलने की संभावना है। भले ही कपाट खुलने की तिथि 20 फरवरी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तय होनी है, लेकिन इन सबके बीच भारी बर्फबारी के चलते यात्रा तैयारियों को समय पर पूरा करना प्रशासन के लिए कठिन चुनौती के समान है। गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदलमार्ग के रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट तक दस फीट से अधिक बर्फ है। यहां छह-सात जगहों पर विशालकाय हिमखंड जोन भी हैं,

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जिन्हें पार करना मुश्किल है। केदारपुरी में भी एमआई-26 हेलीपैड से लेकर मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर तक दस से पन्द्रह फीट तक बर्फ जीम है। धाम में बिजली, पानी और संचार सेवा ठप पड़ी है। साथ ही पुनर्निर्माण कार्य भी नहीं हो रहे हैं। आपदा के छः वर्षो बाद ऐसा हुआ है कि केदारनाथ धाम में प्रशासन, पुलिस और कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी व कर्मचारी और मजदूर भी नहीं हैं। इन विषम हालातों में केदारनाथ यात्रा तैयारियों को समय पर पूरा करना शासन-प्रशासन के लिए आसान नहीं है। बता दें कि बीते वर्ष केदारनाथ धाम की यात्रा नौ मई को शुरू हुई थी। उस दौरान भी पैदल मार्ग पर भीमबली से ही बर्फ मौजूद थी।

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रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट के बीच छः जगहों पर 45 फीट से अधिक लंबाई तक के ग्लेशियर फैले हुए थे। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि एक टीम को केदारनाथ भेजा जा रहा है, जो वहां के हालातों का जायजा लेगी। इसके बाद पैदल मार्ग और धाम में बर्फ सफाई का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। सभी कार्यदायी संस्थाओं को पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर पन्द्रह फरवरी तक अपने स्थानों पर पहुंचने को कहा गया है। प्रशासन का प्रयास रहेगा कि कपाट खुलने से दस दिन पहले यात्रा व्यवस्थाओं को पूरा किया जाय।

बयान- मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी

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