उत्तराखंड : सरकारी नौकरियों का सौदागर संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड लोकसेवा आयोग में रहकर वर्ष 2018 से भर्तियों में खेल करता आ रहा है। एसटीएफ की जांच में लेखपाल-पटवारी भर्ती के अलावा तीन अन्य भर्तियों के पेपर लीक कर बेचने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें जेई, एई और प्रवक्ता भर्तियां शामिल हैं। इनके पेपर के लिए संजीव ने 30 से 50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी लिए हैं।
एसटीएफ इन भर्तियों में हुए खेल का भी जल्द खुलासा कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ की गिरफ्त में आते ही संजीव चतुर्वेदी ने अपने सारे काले कारनामे तोते की तरह उगल दिए। बताया कि उसने सिर्फ यही पेपर लीक नहीं कराया था बल्कि यह काम तो वह बीते चार साल से करता आ रहा है। जितना उसे याद था, उसमें से उसने तीन भर्तियों के नाम लिए। इनमें अवर अभियंता (जेई), सहायक अभियंता (एई) और प्रवक्ता भर्ती शामिल है।भर्तियां आयोग ने वर्ष 2021 में निकाली थीं। इनके रिजल्ट आ चुके हैं।एसटीएफ की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन भर्तियों के पेपर उसने बड़े दाम लेकर आउट किए थे।
इनमें एई के पेपर के लिए 50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी लिए गए। जबकि, जेई और प्रवक्ता के लिए प्रति अभ्यर्थी 30 से 35 लाख रुपये वसूल किए। एसटीएफ अब इन अभ्यर्थियों तक भी पहुंचने का प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि इन भर्तियों में शामिल हुए नकलची अभ्यर्थियों के रिजल्ट भी रद्द करा दिए जाएंगे। साथ ही एसटीएफ इन सभी को भी मुल्जिम बना सकती है।
इन सभी परीक्षाओं में कितनी तादाद रही अभ्यार्थियों की
एसटीएफ ने अब तक अभ्यर्थियों की संख्या की भी तस्दीक कर ली है। जेई भर्ती में तीन अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदकर परीक्षा दी थी। जबकि, एई के लिए पांच अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदा था। प्रवक्ता पद के लिए अब तक एसटीएफ तीन अभ्यर्थियों के नामों की पुष्टि कर चुकी है। बताया जा रहा है कि इनकी संख्या और भी हो सकती है। यदि संख्या ज्यादा हुई तो एसटीएफ इन परीक्षाओं को रद्द करने के लिए भी पत्र भेज सकती है।
सवालों के घेरे में कुछ और परीक्षाएं
अभी तक केवल 2021 में तीन भर्तियों पर दाग का पता चला है। सूत्रों के अनुसार, अभी आरोपियों से पूछताछ चल रही है। ऐसे में हो सकता है कि कुछ और परीक्षाओं पर भी इसी तरह से दाग हों। ऐसे में 2018 से अब तक की सभी परीक्षाओं की जांच भी की जा रही है। एसटीएफ इसके लिए आयोग के अधिकारियों से संपर्क कर सभी का विवरण जुटा रही है।
आपको बताते चलें लेखपाल के 563 पदों के लिए बीती आठ जनवरी को कराई गई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में भले ही उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत की ओर से आरोपित कार्मिक को निलंबित कर विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई हो।
बहरहाल युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की अधिकारियों की फितरत उजागर होने के बाद इससे सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है।यूकेएसएसएसएसी पेपर लीक विवाद के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के पास भर्तियों की जिम्मेदारी आई। निर्विघ्न परीक्षा संपन्न कराने को आयोग के अध्यक्ष की ओर से बड़े-बड़े दावे किए गए।
एक के बाद एक ऐसे मामलों से अभ्यर्थियों का न केवल मनोबल टूट रहा है बल्कि युवाओं का व्यवस्था से विश्वास भी उठता जा रहा है। युवाओं का कहना है कि राजस्व विभाग की परीक्षा 2022 में होनी थी।यूकेएसएसएससी पेपर लीक विवाद के बाद राज्य लोक सेवा आयोग के पास भर्तियों की जिम्मेदारी आई।
उम्मीद थी कि इस बार मेहनत रंग लाएगी, लेकिन लेखपाल भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने से न केवल निराशा हाथ लगी बल्कि मनोबल भी टूटा है।अभ्यर्थियों ने कहा कि जब राज्य लोक सेवा आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की ओर से कराई जा रही परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आ रही है तो विश्वास करें तो किस पर।युवाओं के भविष्य के साथ इसी तरह खिलवाड़ होता रहा तो ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं से उनका मोह भंग होना स्वाभाविक है। प्रदेश सरकार युवाओं के भविष्य के साथ से हो रहे खिलवाड़ बंद करे।
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