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उत्तराखंड : गुजरात में झूला पुल टूटने की घटना के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने उत्तराखंड के सभी जिलों में झूला पुलों की स्थिति जांचने के निर्देश दिए हैं। कहा कि पुलों से संबंधित तकनीकी विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद ही आवाजाही होने दी जाए। जिन पुलों को बंद किया गया है, उन पर किसी भी तरह की आवाजाही हुई तो कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में कई जगह आवाजाही के लिए झूला पुलों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ पुराने हैं, तो कई नए भी बने हुए हैं। बीते वर्ष ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल कमजोर और बेहद पुराना होने से यहां पर रात में आवाजाही को बंद कर दी गई थी।
डीजीपी ने बताया कि उन्होंने सभी जिला पुलिस को निर्देश जारी किए कि झूला पुलों की स्थिति की भलीभांति जांच कर ली जाए। इन पुलों के संबंध में जो तकनीकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाती है, उनका भी अवलोकन कर लिया जाए। ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल पुराना है। यहां पर अतिरिक्त चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
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गुजरात के मोरबी में पुल हादसे में 100 से अधिक लोगों को मौत के बाद उत्तराखंड में भी लोक निर्माण विभाग सतर्क हो गया है. विभाग के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्होंने चीफ इंजीनियर को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी ब्रिज और वैली ब्रिज को लेकर रिपोर्ट तैयार कर उन्हें सौंपें.
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आर के सुधांशु ने बताया कि ऋषिकेश के नजदीक एक पुल पर संचालन और आवागमन रोका गया था. लोग इसे खोलने का दबाव बना रहे हैं लेकिन जनहित में अभी इसे दोबारा शुरू करने को लेकर फैसला नहीं किया गया है. इसे आवागमन के लिए बंद ही रखा गया है. प्रमुख सचिव के मुताबिक विभाग के इंजीनियर से प्रदेश में ऐसे पुलों की भी रिपोर्ट मांगी गई है जिन्हें ‘बी’ से ‘ए’कैटिगरी में बदला जाना है. इस श्रेणी में लाए जाने के बाद पुलों की वहन करने की क्षमता बढ़ाई जाएगी. आर के सुधांशु के मुताबिक रिपोर्ट के आधार पर जल्द बैठक करते हुए पुलों की क्षमता बढ़ाने पर भी फैसला किया जाएगा.
लोगों की मांग बावजूद इस पुल पर आवागमन की इजाजत नहीं
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आर के सुधांशु ने बताया कि ऋषिकेश के नजदीक एक पुल पर संचालन और आवागमन रोका गया था. लोग इसे खोलने का दबाव बना रहे हैं लेकिन जनहित में अभी इसे दोबारा शुरू करने को लेकर फैसला नहीं किया गया है. इसे आवागमन के लिए बंद ही रखा गया है. प्रमुख सचिव के मुताबिक विभाग के इंजीनियर से प्रदेश में ऐसे पुलों की भी रिपोर्ट मांगी गई है जिन्हें ‘बी’ से ‘ए’कैटिगरी में बदला जाना है. इस श्रेणी में लाए जाने के बाद पुलों की वहन करने की क्षमता बढ़ाई जाएगी. आर के सुधांशु के मुताबिक रिपोर्ट के आधार पर जल्द बैठक करते हुए पुलों की क्षमता बढ़ाने पर भी फैसला किया जाएगा.
झूला पुलों पर नहीं वाहन की इजाजत
प्रमुख सचिव ने बताया कि विभाग द्वारा पहले से ही इस दिशा में काम किया जा रहा है. अभी तक तकरीबन 400 से ज्यादा ऐसे पुल हैं जिनको ‘ए’ कैटिगरी में बदला जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में झूला पुलों को लेकर कहा कि विभाग ऐसे पुलों के निरीक्षण के लिए तैयार कर रहा है. उत्तराखंड में जितने भी झूला पुल हैं उनमें सिर्फ पैदल ही आवाजाही होती है और उनपर वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी गई है.
नोट – आपको बताते चलें गुजरात में हुए पुल हादसे के बाद अब उत्तराखंड में जर्जर पुलों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उत्तरकाशी में भी ऐसे कई जर्जर पुल हैं जिसने लोग अभी भी आवाजाही करते हैं। जिले में 273 पुल हैं जिसमें 143 मोटर पुल है जबकि 130 पैदल पुल है। इनमें से कई पुलों की हालत ख़स्ताहाल है। सबसे बुरे हाल मोरी प्रखंड के सुपिन नदी पर बने पुल का है। इसके अलावा गंगोत्री हाईवे पर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्वारीगाड़ और गंगोरी पुल पर बना वैली ब्रिज भी जर्जर हालत में है।
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