उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने संरक्षित वनक्षेत्र में पखडण्डी को मोटर मार्ग बनाने की अवैध अनुमति पर रोक लगाते हुए मोटर मार्ग निर्माण पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने आरोपी बिल्डर उपेंद्र जिंदल और सरकारी अधिकारी पूनम सहित निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।
नैनीताल शहर के समीप पंगोट में बुद्लाकोट के ग्राम प्रधान ललित चंद्र आर्य ने उत्तराखंड राज्य और अन्य के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उपेंद्र जिंदल नाम के एक बिल्डर ने आरक्षित वन क्षेत्र में मोटर रोड का निर्माण कर दिया है। ग्रामीणों ने वर्ष 2013 में ‘ग्राम पैदल मार्ग’ के लिए आवेदन किया था। वन विभाग ने गांव के पैदल मार्ग का निर्माण की ग्राम प्रधान के हस्ताक्षरों वाला एक नक्शा दिया। आरोपी उपेन्द्र जिंदल ने वर्ष 2013 में पूनम से जमीन खरीदी है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पूनम ने सरकारी मशीनरी को उपेंद्र के पक्ष में लगा डियक है। याची ने आरोप लगाया कि बिल्डर उपेंद्र और वन विभाग ने पूर्व के निर्देशित नक्शे को डिजिटल नक्शे में बदल दिया। कहा कि बिल्डर ने एक विशाल चार मंजिला होटल का निर्माण किया है और अब वो पैदल मार्ग को मोटर मार्ग बनाकर अतिक्रमण करना चाहता है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि यह एक आरक्षित वन क्षेत्र है जो एक पक्षी गलियारा है। ये नयना देवी पक्षी संरक्षण रिजर्व में पड़ता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ.कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने आधिकारिक प्रतिवादियों, जिला और वन विभाग को निर्देश दिए है कि पंगूट, नैनीताल के वन क्षेत्र में उस स्थान पर कोई मोटर सड़क का निर्माण नहीं किया जाएगा जहां केवल एक ‘गांव’ है। कहा कि न्यायालय ने बिल्डर उपेंद्र और पूनम सहित निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने कहा कि जे.सी.बी.समेत अन्य मशीन इस आरक्षित वन क्षेत्र में प्रयोग नहीं होगी। मामले में अगली सुनवाई 15 फरवरी 2023 में होनी तय हुई है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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