सरकार ने दिखाया मुकदमों का डर,तो छात्रों ने डिजिटल सत्याग्रह को बनाया हथियार

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उत्तराखंड में युवाओं पर हुए लाठीचार्ज व भर्ती घोटालों पर उठाई आवाज को दबाने के लिए सरकार द्वारा भरकम प्रयास किये गए फिर चाहे युवाओं के ऊपर फर्जी मुकदमे हो या उसके साथ साथ कई जगह नेतृत्व कर रहे युवाओं को नजरबंद किया जाना।


वही बॉबी पवार सहित 13 लोगों के ऊपर लगी संगीन धाराओं में अदालत ने भी सशर्त रिहाई दी कि किसी भी उग्र आंदोलन में वह सम्मिलित नहीं हो पाएंगे ,पर युवाओं ने संवैधानिक रूप में अपना विरोध प्रकट करने के लिए डिजिटल क्रांति के इस युग में टि्वटर फेसबुक इंस्टाग्राम सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को विरोध करने का हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।


उत्तराखंड युवा एकता मंच, उत्तराखंड बेरोजगार संघ सहित तमाम बेरोजगार,युवा हितैषी संगठनों ने डिजिटल सत्याग्रह का आवाहन करते हुए प्रदेश के युवाओं से आवाहन किया है कि रोजाना शाम 5:00 से 7:00 तक सोशल मीडिया में कम से कम 50 से 60 व अन्य साथियों के ट्वीट्स व अन्य लोगोकी पोस्ट को रिट्वीट कर और पोस्ट शेयर कर अपना विरोध संवैधानिक रूप में सरकार के सामने प्रकट करें।


बताते चलें कि आज डिजिटल आंदोलन के पहले दिन ही ट्विटर पर #UKCBI #trending पर था।
इसके साथ साथ
#devbhoomi_demand_cbi #उत्तराखंडमांगेसीबीआई
यह हेस्टैक भी trending पर थे.


पहले ही दिन लगभग 2 से 3 घंटों के अंदर ही लगभग #UKCBI के ट्वीट के लगभग 20000 ट्वीट्स हो गए।
वहीं अन्य हैशटेक की संख्या मिलाकर आंकड़ा 50 से 55000 पहुंच चुका है।


बताते चलें कि युवाओं पर हुए लाठीचार्ज पर कई भाजपा के बड़े नेता सहित पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी युवाओं से माफी मांग चुके हैं । साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी सीबीआई जांच की मांग को जायज ठहरा चुके हैं ।


ऐसे में युवाओं को मनाने के लिए धामी सरकार द्वारा नकल विरोधी कानून के समर्थन में धन्यवाद यात्राओं का सिलसिला पूरे प्रदेश मैं शुरू कर दिया गया ।


जबकि सच्चाई यह थी कि नकल विरोधी कानून सरकार ने देहरादून में 8 फरवरी से शुरू हुए व्यापक आंदोलन के फल स्वरुप प्रदान किया पर क्रेडिट की लोलुपता में सरकार द्वारा पूरे प्रदेश भर में धन्यवाद यात्राएं निकालकर युवाओं को भ्रमित करने का प्रयास किया गया।


प्रत्यक्ष रूप में सच्चाई यह है कि युवाओं की मांग अभी भी अडिग है कि प्रदेश की पूर्व की सभी भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच हो । बताते चलें कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ व उत्तराखंड युवा एकता मंच ने अपने ऑफिशल टि्वटर फेसबुक सहित तमाम सोशल मीडिया हैंडल्स पर वर्तमान में उत्तराखंड सरकार वह केंद्र में भाजपा सरकार की मंशा में असमंजस की स्थिति पर व्यंग करते हुए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की वीडियो पोस्ट की है जहां सीधा सवाल यह पूछा गया है कि क्या अरुणाचल प्रदेश में सारी भर्तियां सीबीआई जांच के कारण रुक चुकी हैं ?


वहीं राजस्थान में रीट पेपर लीक में भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजेश्वर सूर्या भी सीबीआई जांच की मांग को लेकर युवाओं के साथ खड़े नजर आ रहे हैं तो वहीं भाजपा के प्रदेश प्रभारी सहित तमाम लोग राजस्थान में सीबीआई जांच की मांग करते नजर आ रहे थे ।


इसके अतिरिक्त हाल ही में हिमांचल में हुए पेपर ली प्रकरण में भी सीबीआई जांच के आदेश दे दिए गए हैं ।
तो ऐसे में युवाओं का स्पष्ट है यह पूछना था कि क्या भाजपा के मंडल अध्यक्ष का नाम व उसके पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के करीबी होने की वजह से सरकार सीबीआई जांच कराने से बच रही है. वह सरकार द्वारा बार-बार यह कहना कि सारी भर्ती परीक्षाओं के बाद सीबीआई जांच होगी, क्या सबूत मिटाने का तरीका तो नहीं .


ऐसे में युवाओं ने स्पष्ट रूप में सवाल सरकार की नियत पर किए हैं कि अगर सरकार सच में युवा हितैषी है व युवा सरकार है तो सीबीआई जांच क्यों नहीं की जा रही ?

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