उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इंडिपेंडेंट मैडिकल इनीशिएटिव संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार और सचिव वन से रामनगर वन प्रभाग में हाथी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए पूर्व में दिए दिशानिर्देशो के अनुपालन की 27 फरवरी तक रिपोर्ट देने को कहा है। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 27 फरवरी को तय की है।
आज मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि इन दिशा निर्देशों का पालन करने की पावर केंद्र सरकार के वाइल्ड लाइफ बोर्ड को है, जिसकी स्वीकृति के लिए सरकार ने प्रस्ताव भेजा है और इसकी रिपोर्ट अभी तक नही आई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने न्यायालय को अवगत कराया कि सरकार ने अभीतक पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन नही किया। पूर्व में न्यायालय ने :-
(1)- राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह रामनगर मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगे हुए हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे।
(2)- न्यायालय ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया था कि रामनगर-मोहान रोड पर पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अनुमति ना दें।
(3)- हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं उनका तुरंत संरक्षण शुरू करें।
(4)- मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डी.एफ.ओ.रामनगर, डी.एफ.ओ.अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क को आदेशित किया था कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली रोड पर रात्रि में 10:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था की जाए ताकि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच सके और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लगाम लगाएं।
(5)- भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेशित किया था कि इन इलाके में हाथियों के आवाजाही के लिए अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण ना किया जाय।
(6)- हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी रहेगी और पुनः आदेश किया था कि हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए। इन निर्देशों का पालन करने की जिमेदारी सम्बन्धीत अधिकारियों की होगी। लेकिन आज तक इनका अनुपालन नही हुआ ।
मामले के अनुसार दिल्ली की इंडिपेंडेंट्स मेडिकल इंटीवेट सोसाइटी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि प्रदेश के 11 हाथी कॉरिडोर मार्गों पर अतिक्रमण कर वहां व्यावसायिक भवन बनाए जा चुके हैं। इसमें तीन हाथी कॉरिडोर रामनगर-मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी हाईवे में स्थित हैं। जबकि रामनगर के ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक व्यावसायिक निर्माण चल रहे हैं और उक्त परिक्षेत्र पूरी तरह बंद हो चुका है।
अल्मोड़ा जिले के मोहान क्षेत्र में निर्माण होने से रात्रि में वाहनों की आवाजाही के चलते हाथियों को कोसी नदी में पहुंचने में बाधा हो रही है। एक परिपक्व हाथी को प्रतिदिन 225 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। व्यावसायिक भवनों में रात्रि में होने वाली शादियों और पार्टी में बजने वाले संगीत से वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलंदाजी को रोकने के बजाय हाथियों को हाईवे पर आने से रोका जा रहा है। इसमें मिर्च पाउडर और पटाखों का प्रयोग भी किया जा रहा है। इससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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