कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में कैसे होगा इलाज,अब मेडिकल कालेज के 4 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा..
कुमाऊं मंडल के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में भी अब डॉक्टरों की कमी होने लगी है। यहां पर चार डॉक्टरों के इस्तीफा देने के बाद मरीजों को और ज्यादा परेशानी होने लगी है।
राजकीय मेडिकल कालेज की स्थिति लगातार बदहाल होती जा रही है। पिछले 15 दिनों के भीतर चार डाक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें दो डाक्टर केवल मेडिसिन विभाग के हैं। कोरोना की चौथी लहर की आशंका के चलते डाक्टरों की कमी ने अस्पताल प्रबंधन के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
मेडिकल कालेज के अधीन डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय पर पूरे कुमाऊं की निर्भरता है। सभी छह जिलों से मरीजों को बेहतर उपचार के लिए इसी अस्पताल रेफर किया जाता है। इसके बावजूद अस्पताल की हालत सुधरने की बजाय और बिगडऩे लगी है। मेडिसिन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में 30 डाक्टर होने चाहिए थे। अब केवल चार ही रह गए हैं। इनमें भी एक के पास प्राचार्य तो दूसरे डाक्टर के पास चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी है। अगर कोरोना की चौथी लहर आती है तो संकट बढऩा तय है। इसके लेकर अस्पताल प्रबंधन भी बेचैन है।
मेडिसिन विभाग के डा. यतींद्र और डा. नताशा ने इस्तीफा दिया है। इनके अलावा एनेस्थीसिया विभाग व बाल रोग विभाग से भी एक-एक डाक्टर ने भी इस्तीफे के लिए नोटिस भेज दिया है।
व्यवस्था को दुरुस्त रखने का प्रयास
राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि डाक्टरों की कमी है। इसकी वजह से काफी दिक्कतें हो रही है। फिर भी व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है। इसके लिए शासन स्तर पर भी पत्राचार चल रहा है।
मरीजों की स्थिति
- 1500 से अधिक मरीज प्रतिदिन ओपीडी में पहुंचते हैं
- 300 डाक्टर होने चाहिए कार्यरत, 165 ही हैं वर्तमान में
80 प्रतिशत सीनियर रेजिडेंट डाक्टरों की कमी
- 02 महीने से अल्ट्रासाउंड कक्ष पर लगा है ताला
यह है स्थिति
पद रिक्त कार्यरत
प्रोफेसर 2 1
एसो. प्रोफेसर 7 3
असि. प्रोफेसर 13 0
सीनियर रेजिडेंट 8 0
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
GKM News is a reliable digital medium of latest news updates of Uttarakhand. Contact us to broadcast your thoughts or a news from your area. Email: [email protected]
क्या इतने बड़े अस्पताल में ऐक्सिडेंटल केस पत्रकारों से बातचीत के बाद सुलझाएं जातें हैं