चमोली हादसा : बड़ी लापरवाही के चलते गयी 16 लोगों की जान, 3 अरेस्ट..

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चमोली में नमामि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर हुई भीषण दुर्घटना में विद्युत उपकरणों के संचालन में घोर लापरवाही करने वाले तीन आरोपियों को चमोली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की ओर से ज्वाइंट वेंचर कंपनी के सुपरवाइजर पवन चमोला, विद्युत विभाग की लाइनमैन महेंद्र सिंह और उत्तराखंड जल संस्थान गोपेश्वर के सहायक अभियंता हरदेव लाल आर्य को गिरफ्तार किया गया है।

दूसरी तरफ केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एम्स पहुंचकर चमोली हादसे के घायलों का हालचाल जाना। उन्होंने एम्स निदेशक सहित हादसे के घायलों का उपचार कर रहे चिकित्सकों से गंभीर रूप से घायलों की जानकारी जुटाई।

चमोली बाजार के पास अलकनंदा नदी के किनारे नमामि गंगे प्रोजेक्ट की साइट पर अचानक करंट फैल गया था। इस दर्दनाक हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि कई लोग बुरी तरह झुलस गए। मृतकों में पीपलकोटी चौकी प्रभारी प्रदीप रावत और होमगार्ड मुकंदीलाल भी शामिल थे। छह लोगों को एम्स ऋषिकेश भेजा गया है। वहीं, पांच लोग जिला अस्पताल में भर्ती है।

जांच में हुआ घोर लापरवाही का खुलासा

चमोली के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में कंट्रोल पैनल से करंट फैला था, जो इसे छू रहे किसी व्यक्ति के जरिये टिन शेड और फिर रेलिंग तक पहुंच गया और रेलिंग पर जुटी लोगों की भीड़ इसकी चपेट में आ गई। हैरत की बात यह है कि प्लांट के भीतर करंट नहीं फैला, इसलिए सुपरवाइजर व पंचनामा कर रहे पुलिसकर्मी इसकी जद में आने से बच गए। लेकिन रेलिंग पर खड़े लोग एक के बाद एक करंट लगने से झुलस गए। 

शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि 18 जुलाई की रात जब प्लांट ऑपरेटर गणेश विद्युत सप्लाई का मेन स्विच ऑफ कर रहे थे तो उसमें फॉल्ट हो गया। जिससे लाइन का तीसरा फेज मेन स्विच के बॉक्स से टच हो गया, जिससे गणेश उसकी चपेट में आ गए। करंट लगने पर गणेश बाहर की ओर दौड़े और इसी दौरान उनकी मौत हो गई।

19 जुलाई की सुबह मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। पुलिस शव का पंचनामा करने पहुंची थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए और पुलिसकर्मी बुलाए गए थे। गणेश का शव प्लांट के बाहर था। प्लांट में ऊपर चढ़ने वाली लोहे की सीढ़ियों में लोगों की भीड़ जुटी हुई थी। पुलिसकर्मियों और नाराज भीड़ के बीच बहस हो रही थी।

इसी दौरान यूपीसीएल का लाइनमैन तीसरा फेज न आने की जांच करता हुआ वहां पहुंचा।उसने देखा कि प्लांट के मीटर में केवल दो फेज आ रहे थे। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे बुलाया और पूछा कि चेक करके बताए कि करंट दोबारा प्लांट में किसी को नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा। मौके पर जल संस्थान का सुपरवाइजर भी मौजूद था। दोनों ने मेन स्विच देखा कि उसका लीवर ऊपर की ओर यानी बंद था। लिहाजा, वह निश्चिंत हो गए कि यहां फिलहाल करंट नहीं आएगा।

किसी ने यह नहीं देखा कि मेन स्विच में जो तारें ट्रांसफार्मर से भीतर आ रही हैं, उनमें से तीसरे फेज की तार फॉल्ट की वजह से मेन स्विच के बॉक्स से टच हो रही थी। पूरी तरह निश्चिंत होने के बाद लाइनमैन बाहर लाइन पर उड़ा हुआ जंपर ठीक करने चला गया। उसने 11 केवी लाइन का शटडाउन लेकर जंपर जोड़ दिया। करीब 11:30 बजे लाइन चालू कर दी। जैसे ही लाइन चालू हुई तो प्लांट का मेन स्विच बंद होने के बावजूद तीसरे फेज का करंट स्विच के बॉक्स से होता हुआ आगे बढ़ गया। अर्थिंग इतनी खतरनाक थी कि पहले से आंशिक रूप से जला हुआ मेन स्विच बॉक्स तेज धमाके के साथ फट गया।

आगे कंट्रोल पैनल में करंट पहुंचा तो वहां भी अर्थिंग हो गई। चूंकि प्लांट के पास भीड़ थी। भीड़ में से किसी व्यक्ति ने कंट्रोल पैनल पर हाथ रखकर दूसरा हाथ टिनशेड से लगाया। जैसे ही कंट्रोल पैनल में करंट से अर्थिंग हुई तो उसके माध्यम से टिनशेड तक करंट दौड़ गया। प्लांट में चढ़ने के लिए लगी लोहे की सीढ़ियां भी इसी टिनशेड से वेल्डिंग से जुड़ी हुई हैं। टिनशेड से करंट इन लोहे की सीढ़ियों व रेलिंग में पहुंच गया। यहां जमा भीड़ व उन्हें शांत कराने का प्रयास कर रहे पुलिसकर्मी करंट की चपेट में आ गए। शुरुआती जांच में पता चला है कि कई लोगों के शरीर के अंग करंट की वजह से धू-धूकर जलने लगे। जबकि प्लांट के भीतर मौजूद सुपरवाइजर और पंचनामा करने वाले पुलिसकर्मी सुरक्षित बच गए।

तकनीकी जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया है कि प्लांट का जेनरेटर खराब था। प्लांट संचालकों ने इसे बाईपास किया हुआ था। यानी सीधे बिजली लाइन से प्लांट जुड़ा हुआ था। अगर जेनरेटर बीच में होता तो इसमें लगा हुआ एएमएफ (ऑटोमैटिक मेन्स फेलियर) पैनल भीतर शॉर्ट सर्किट होते ही लाइन को ट्रिप कर देता, और ये दर्दनाक हादसा होने से बच जाता।

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