मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने वन महकमे में अनियमितताओं के चलते अब इस I.F.S.को कोर्ट में किया ‘तलब’

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उधम सिंह नगर के गुलजारपुर में 300 एकड़ फॉरेस्ट भूमि में खनन माफियाओं द्वारा एक हजार से ज्यादा पेड़ो को काटकर कई किलोमीटर सड़क निर्माण किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की गई। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने रामनगर रेंज के डी.एफ.ओ.से 6 अप्रैल को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है।

न्यायालय ने वनभूमि में बनायी गई सड़क को तत्काल रूप से बंद करने के निर्देश दिए है। मामले की सुनवाई के लिए 6 अप्रैल की तिथि तय की गई है।


सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि अवैध खनन के मामले में सरकार ने करीब 4 करोड़ का चालान किया है। कुल 82 लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी किया है। अवैध खनन को रोकने के लिए उनके पास कर्मचारियों का अभाव है। पुलिस उनका साथ नही दे रही है।

छापेमारी के दौरान खनन माफियाओं ने उनके एक कर्मचारी को ट्रैक्टर से दबाकर हत्या कर दी थी। मामले को गम्भीरता से लेते हुए न्यायालय ने डी.एफ.ओ.को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है। मामले के अनुसार उधम सिंह नगर के गुलजारपुर निवासी प्रेमपाल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि गुलजारपुर में 300 एकड़ में फैले जंगल की वनभूमि में अवैध खनन माफियाओं द्वारा वन भूमि को खुर्दबुर्द कर एक हजार से ज्यादा पेडों को काटकर वनभूमि में 7 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर दिया है।

याचिकाकर्ता का कहना है वन विभाग और खनन माफियाओं की मिलीभगत से वनभूमि में सड़क का निर्माण किया गया है, जिसकी जांच की जानी चाहिए। जबकि यह प्रतिबंधित क्षेत्र है और इसमें किसी को भी जाने के अनुमति नही है। उसके बावजूद यहां खनन का अवैध व्यवसाय वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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