उत्तराखण्ड के विश्वविख्यात पर्यटक स्थल नैनीताल के टूटते दरकते पहाड़ों का जोड़ने और बंधने के लिए भूवैज्ञानिकों की टीम पहुंची और स्टोनले के साथ टिफिन टाँप का किया निरिक्षण किया।
नैनीताल के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही टूटती पहाड़ियों को थामने के लिए सरकार ने भवैज्ञानिकों की एक टीम को नैनीताल भेजा है। इस टीम ने पिछले वर्ष भूस्खलन की भेंट चढ़े चार्टनलॉज का निरीक्षण किया। साथ ही टीम ने बलियानाले का निरिक्षण किया।
टीम के सदस्यों ने दरकते और गिरते टिफ़िन टॉप की पहाड़ी में पहुंचकर वहां की परिस्थिति समझी और उसके ट्रीटमेंट का रास्ता बताया। भूवैज्ञानिकों ने शहर के कई इलाकों का ट्रिटमेंट जरुरी बताया है। इस दौरान जिला प्रशासन की टीम भी इनके साथ मौजूद रही है। चार्टनलॉज के निरिक्षण के बाद उन्होंने बताया कि ये पूरा इलाका 1880 के भूस्खलन के मलवे पर बसा है और यहां निर्माण ही यहां के लिए खतरा है।
टिफिनटॉप के दौरे के बाद भूवैज्ञानिक भाष्कर पाटनी ने कहा कि अब जो हिस्सा खतरे में है उसका ट्रिटमेंट किया जा सकता है। कहा कि ये पूरा क्षेत्र डोलोमिटिक लाइमस्टोन है, जिसमें दरारें बन गई हैं और बारिश से इसमें भरी मिट्टी बही तो पूरा पहाड़ गिर गया। उन्होंने इसका ट्रीटमेंट बताते हुए कहा कि इसकी ग्राउटिंग कर दें तो इसको बचाया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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