SSP मीणा के “ऑपरेशन रोमियो” के तहत एक्शन_ 205 मनचले पकड़े गए
महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा का जनपद में…
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एसएसपी मीणा के कड़े निर्देशों का असर दिखने लगा है। उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाए जा…
एसएसपी नैनीताल ने आगामी राष्ट्रीय खेलों और वीआईपी भ्रमण कार्यक्रम के संदर्भ में गोलापार स्टेडियम…
38 में राष्ट्रीय खेलों में हल्द्वानी स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में उत्तराखंड की फुटबॉल…
Haldwani – उत्तराखण्ड में खेले जा रहे 38वें राष्ट्र खेलों में आज दिल्ली और सर्विसेज…
“हल्द्वानी के नए महापौर गजराज सिंह बिष्ट ने विकास के लिए संकल्प लिया” काठगोदाम-हल्द्वानी नगर…
जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है।…
38वें राष्ट्रीय खेलों में ट्रायथलॉन मिक्स रिले प्रतियोगिता में महाराष्ट्र का धमाकेदार प्रदर्शन 38वें राष्ट्रीय…
हल्द्वानी से बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों से प्राप्त हो रही जानकारी के मुताबिक…
“विस्तार केवल बाहर से ही नहीं, बल्कि अंतर से भी होना चाहिए। हर कार्य में…