उत्तराखंड के जंगलों में आग ने जमकर तांडव मचाया है। इस विकट स्थिति के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को इस मामले में शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार, दोनों को ही जमकर फटकार लगाई है।
केंद्र सरकार पर सवाल:
फंड की कमी: कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि उसने राज्य को आग बुझाने के लिए पर्याप्त धनराशि क्यों नहीं दी?
सहयोग में कमी: कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आग बुझाने के प्रयासों में पर्याप्त सहयोग क्यों नहीं दिया?
राज्य सरकार पर सवाल:
फंड का दुरुपयोग: कोर्ट ने आशंका जताई कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया होगा।
लापरवाही: कोर्ट ने वन विभाग के अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाए जाने पर भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की, जिसके कारण जंगल की आग बुझाने में कमी आई।
तैयारी में कमी: कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य सरकार जंगल की आग से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं थी।
वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि: जंगल की आग के कारण उत्तराखंड में वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है। कई शहरों में PM 2.5 का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
स्थानीय लोगों का रोष: जंगल की आग से प्रभावित स्थानीय लोग राज्य सरकार की लापरवाही से भड़के हुए हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
आगे की राह:
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट इस मामले में सुनवाई जारी रखेगा और उम्मीद है कि जल्द ही इस ज्वलंत मुद्दे का समाधान होगा।
यह भी उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख से केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जंगल की आग जैसी भविष्य में आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर नीतियां बनाएंगी और पर्याप्त तैयारी करेंगी।
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