निजी कॉलेजों पर नकेल कसने की तैयारी,रद हो सकती है मान्यता..

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उत्तराखंड : राज्य के निजी कॉलेज, विश्वविद्यालय शुल्क निर्धारण कमेटी को फीस का विवरण नहीं दे रहे हैं। इस कारण आगामी शैक्षणिक सत्र के दौरान निजी संस्थानों में फीस को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। इस बीच कमेटी ने स्पष्ट किया है कि बिना कमेटी से मंजूर कराए फीस वसूलने पर संस्थानों में एडमिशन पर रोक या मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों की फीस निर्धारित करने के लिए शुल्क निर्धारण कमेटी का प्रावधान है। उच्च शिक्षा विभाग ने तीन साल बाद अब जस्टिस महबूब अली की अध्यक्षता में इस कमेटी का विधिवत गठन कर दिया है। कमेटी ने काम शुरू करते हुए मई प्रथम सप्ताह में सभी निजी विवि और कॉलेजों से आगामी तीन शैक्षिक सत्र 22-23, 23-24, 24-25 के लिए फीस स्ट्रक्चर मांगा है।

कमेटी कॉलेजों की बैलेंस शीट और अन्य सुविधाओं के आधार पर फीस का निर्धारण करेगी। लेकिन दो नोटिस के बाद भी कमेटी के पास महज तीन दर्जन कॉलेजों ने ही फीस का विवरण जमा किया है, जबकि निजी संस्थानों की कुल संख्या डेढ़ सौ से अधिक है। जबकि एक भी निजी विवि ने अपना प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर प्रस्तुत नहीं किया है।

कमेटी ने अब सभी संस्थानों को अंतिम नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर हर हाल में प्रस्तावित फीस का विवरण देने को कहा है। फीस कमेटी के दायरे में टेक्नीकल, मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुष, मैनेजमेंट, लॉ सहित सभी तरह के निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय आते हैं।

प्रवेश पर रोक या मान्यता हो सकती है रद: कमेटी की नोडल अधिकारी डॉ. रचना नौटियाल के मुताबिक सभी निजी कॉलेज, विवि को अपना फीस स्ट्रक्चर कमेटी से पास कराना होगा। लेकिन अभी बहुत कम संस्थानों ने फीस का विवरण दिया है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड अनानुदानित, निजी, व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) विधेयक 2006 की धारा पांच में स्पष्ट है कि बिना कमेटी से मंजूर किए फीस वसूलने पर प्रवेश पर रोक लगाए जाने के साथ ही सम्बद्धता भी समाप्त की जा सकती है।

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