आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का आज सुबह निधन हो गया. हिमाचल प्रदेश के किन्नौर निवासी नेगी 106 साल के थे. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 2 नवंबर को अपना डाक मतपत्र के जरिए वोट डाला था. डीसी किन्नौर आबिद हुसैन का कहना है कि जिला प्रशासन सबसे बुजुर्ग मतदाता के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहा है. उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करने की पूरी व्यवस्था की जा रही है.
देश के सबसे बुजुर्ग मतदाता श्याम सरन नेगी हाल ही में निर्वाचन अधिकारी को 12-D फॉर्म लौटाकर चर्चा में आए थे. दरअसल, उम्रदराज मतदाता ने यह कहकर चुनाव आयोग का फॉर्म लौटा दिया था कि वह मतदान केंद्र जाकर ही अपना वोट डालेंगे. हालांकि, इसी बीच अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और चुनाव अधिकारियों ने उनके कल्पा स्थित घर जाकर पोस्टल वोट डलवाया.
जानिए श्याम शरण नेगी की शख्सियत के बारे में
झुर्रियों से भरा चेहरा, कमजोर शरीर और लड़खड़ाते कदम. बिना सहारे के चल भी नहीं सकते. ये जश्याम सरन नेगी हैं, जो भारत के पहले और सबसे बुजुर्ग वोटर हैं. नेगी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 280 किलोमीटर दूर किन्नौर जिले के कल्पा गांव के रहने वाले हैं.
नेगी की उम्र लगभग 106 साल की हो चुकी है. अपनी उम्र और शारीरिक तकलीफों के बावजूद नेगी हर बार वोट डालते हैं. बुधवार को उन्होंने कल्पा गांव में अपने घर से पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाला. ये पहली बार था जब नेगी ने पोस्टल बैलेट से वोट दिया. वरना वो हर बार चलकर पोलिंग बूथ तक जाते थे और वोट देते थे.
श्याम सरन नेगी को मास्टर श्याम सरन भी कहते हैं. वो इसलिए क्योंकि नेगी सरकारी स्कूल में टीचर रहे हैं. 1951 में पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने वोट दिया था. तब से अब तक 16 लोकसभा और 14 विधानसभा चुनावों में वोट दे चुके हैं. इतना ही नहीं, पंचायत चुनावों में भी वो वोट देने जाते थे।
बुजुर्ग , लेकिन युवाओं को मोटिवेट करते थे
श्याम सरन नेगी का जन्म 1 जुलाई 1917 को हुआ था. वो कल्पा में लकड़ी के बने घर में रहते थे. 1947 में आजादी के मिलने के बाद 1951-52 में भारत में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए थे.
वैसे तो पहले आम चुनाव में फरवरी-मार्च 1952 में वोट डाले जाने थे. लेकिन हिमाचल में बर्फबारी की आशंका के चलते चार-पांच महीने पहले ही चुनाव करा लिए गए थे.
नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 को वोट डाला था. तब से उन्होंने कोई भी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव छोड़ा नहीं. हर चुनाव में वोट डालते थे.
नेगी कहते थे कि जब उनके जैसा बुजुर्ग वोट डाल सकता है तो युवा क्यों नहीं जा सकते. वो अक्सर वोट डालने की अपील करते थे।
2010 में तब के मुख्य चुनाव अधिकारी नवीन चावला उनसे मिलने गए थे. चावला ने नेगी को सम्मानित भी किया था. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गूगल ने नेगी पर एक फिल्म ‘प्लेज टू वोट’ भी बनाई थी. 2015 में आई बॉलीवुड फिल्म ‘सनम रे’ में भी नेगी नजर आए थे.
कैसे पता चला था कि वही पहले वोटर हैं?
इसकी कहानी भी दिलचस्प है. चुनाव आयोग को 45 साल लग गए थे भारत का पहला वोटर खोजने में. 2007 में चुनाव आयोग ने पहले वोटर की पहचान करने का काम शुरू किया. उस समय मनीषा नंदा हिमाचल की मुख्य चुनाव अधिकारी थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पहले वोटर की पहचान करने का काम शुरू हुआ तो इलेक्टोरल रोल खंगाले गए. मनीषा नंदा ने उस समय बताया था कि उनकी नजर नेगी की एक तस्वीर पर पड़ी. तब उनकी उम्र 90-91 साल लिखी हुई थी. मनीषा नंदा ने किन्नौर की तत्कालीन डीसी सुधा देवी को नेगी से मिलने को कहा.
सुधा देवी ने नेगी का इंटरव्यू भी लिया था. इसके बाद नेगी के दावे की पड़ताल की गई और सामने आया कि वो सही कह रहे थे. सारे दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद साबित हुआ कि नेगी ही पहले वोटर थे.
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