नैनीताल : घर में रोज होते थे झगड़े,मासूम पहुंचा थाने आपबीती सुन दंग रह गए पुलिसकर्मी

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कमोबेश लगभग हर घर में पति-पत्नी की लड़ाई के किस्से  तो आपने बहुत सुने होंगे। लेकिन, मां-बाप की लड़ाई की वजह से बच्चों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है, यह शायद ही कोई पति-पत्नी गंभीरता से सोचता होगा। ऐसा ही ही एक अनोखा मामला इस शहर में सामने आया है। मां-बाप को अपने अकसर लड़ता देख एक 10 साल के मासूम के इस कदम से सब दंग रह गए। आपबीती बयान करने को मासूम कोतवाली पहुंच गया।

मासूम की बातें सुनकर पुलिसकर्मी भी दंग रह गए। मल्लीताल में रहने वाला 10 साल का मासूम रोजाना मम्मी-पापा के बीच होने वाले झगड़े से परेशान हो गया। बुधवार को भी उनके बीच विवाद हुआ और नौबत मारपीट तक पहुंच गई। ऐसे में बच्चे से रहा नहीं गया और वह सीधे कोतवाली पहुंच गया।

 बच्चे ने पुलिस को बताया कि मम्मी-पापा रोज लड़ाई करते हैं।बुधवार को भी वह झगड़े तो उसने आसपास रहने वालों से बीच-बचाव करने के लिए मदद मांगी। लेकिन पड़ोसियों ने भी रोज-रोज हंगामे का हवाला देकर इनकार कर दिया। बच्चे ने पुलिस को बताया कि पापा, मम्मी को पीट रहे हैं, उन्हें बचा लो।

 बच्चे की गुहार सुन कांस्टेबल दीपक बवाड़ी उसके साथ घर गए।कहा कि उसके माता-पिता के तब भी विवाद चल रहा था। इस पर कांस्टेबल दोनों को कोतवाली ले आए। यहां पुलिस ने पति पर कार्रवाई करनी चाही तो पत्नी एक मौका देने की गुहार लगाने लगी। कोतवाल धर्मवीर सोलंकी ने बताया कि काउंसलिंग के बाद दंपति को हिदायत देकर छोड़ दिया गया।

बच्चे मासूम होते हैं हमेशा ध्यान रखें झगड़े बच्चों पर डालते हैं बहुत ही बुरा असर


-मानसिक तनाव बढ़ने से असुरक्षा की भावना आती है
-रोज-रोज झगड़ा देख बड़े होकर दुर्व्यवहार कर सकते हैं
-आए दिन के विवाद से बच्चों का व्यक्तित्व प्रभावित होता है
-मानसिक विकास प्रभावित होने से पढ़ाई पर भी असर पड़ता है
बचाव के लिए क्या करें
-कोई भी विवाद होने पर माता-पिता अकेले में बात करें
-सामने वाले को भी बोलने का मौका दें, उसकी बात सुनें
-बार-बार गलती करने की बजाय विवाद का समाधान खोजें
-घरेलू विवाद की वजह से बच्चों को नजरअंदाज न करें
जिन परिवारों में लड़ाई झगड़ा होता है वहां बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है। वे हर समय तनाव में रहते हैं। ऐसे में रिश्तेदार और पड़ोसियों को बच्चों की मदद करने के साथ ही उनके परिजन से बात करनी चाहिए। बच्चों के साथ-साथ पूरे परिवार की काउंसलिंग जरूरी है।

डॉ. युवराज पंत  मनोचिकित्सक, सुशीला तिवारी चिकित्सालय

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