उत्तराखंड : हाइवे पर आ गिरा पहाड़_देखिये भयानक भू-स्खलन का ये मन्ज़र..Video

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जोशीमठ से एक किमी पहले बदरीनाथ राष्टीय राजमार्ग पर भारी बोल्डर आने से हाईवे बंद हो गया। दोनों वाहनों की कतार लग गई है। इससे पहले भी खराब मौसम में मलबा आने के कारण रविवार सुबह बाधित हुए बदरीनाथ हाईवे पर 34 घंटे बाद सोमवार शाम छह बजे वाहनों की आवाजाही सुचारू हो सकी।

विष्णुप्रयाग और घुड़सिल में हाईवे बाधित होने पर करीब 2000 श्रद्धालु करीब आठ किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर बदरीनाथ धाम पहुंचे। प्रदेशभर में लगातार हो रही बारिश के बीच सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने अपील की है कि सुरक्षा के मद्देनजर मौसम का रुख देखकर ही यात्रा करें।

विष्णुप्रयाग में रविवार को सुबह छह बजे हाईवे पर चट्टान टूटकर आ गई थी, वहीं हनुमान चट्टी से करीब दो किमी आगे घुड़सिल में बीआरओ की कटर मशीन बोल्डरों के बीच दब गई थी। हाईवे नहीं खुलता देख श्रद्धालु पैदल ही धाम के लिए निकल गए और आठ किमी चलकर धाम पहुंचे

खराब मौसम में मलबा आने के कारण रविवार सुबह बाधित हुए बदरीनाथ हाईवे पर 34 घंटे बाद सोमवार शाम छह बजे वाहनों की आवाजाही सुचारू हो सकी। विष्णुप्रयाग और घुड़सिल में हाईवे बाधित होने पर करीब 2000 श्रद्धालु करीब आठ किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर बदरीनाथ धाम पहुंचे।

विष्णुप्रयाग में रविवार को सुबह छह बजे हाईवे पर चट्टान टूटकर आ गई थी, वहीं हनुमान चट्टी से करीब दो किमी आगे घुड़सिल में बीआरओ की कटर मशीन बोल्डरों के बीच दब गई थी। हाईवे नहीं खुलता देख श्रद्धालु पैदल ही धाम के लिए निकल गए और आठ किमी चलकर धाम पहुंचे। मलबा हटाने और मशीन निकालने के बाद सोमवार शाम हाईवे पर वाहनाें का आवागमन शुरू हो सका। देर शाम तक 2,640 श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए।

पिछले दिनों हुई भारी बारिश से चमोली जिले में खिरों नदी का जलस्तर बढ़ गया। इससे खिरों तोक का एकमात्र रास्ता ध्वस्त हो गया। यहां पर 20 लोग फंसे हुए हैं, इनमें से 15 बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी हैं। लेकिन रास्ता नहीं होने से ये सभी 10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव में वोट डालने से वंचित रह जाएंगे।

इधर, चमोली नंदानगर में नंदाकिनी नदी से लगातार भू-कटाव हो रहा है। ऐसे में नदी किनारे रहने वाले कुमारतोली और नागबगड़ मोहल्ले के लोगों में दहशत है। चमोली के ही थराली में प्राणमति नदी पर बना अस्थायी पुल बहने से सोमवार को थराली गांव और सूना के लगभग 65 बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाए।

जबकि अन्य गांवों के बच्चे तीन किमी पैदल दूरी नापकर स्कूल पहुंचे। शनिवार शाम को यह अस्थायी पुल बह गया था, जिससे क्षेत्र के पांच गांवों का मुख्यालय से संपर्क कट गया है। जिले में बूढ़केदार-झाला-पिंस्वाड़ मोटर मार्ग भी मलबा आने से बंद हो गया है।

टिहरी जिले में बारिश से ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर हो रहा भू-धंसाव थम नहीं रहा है। रविवार देर शाम को आए मलबे के कारण कुम्हारखेड़ा के निवासियों की नींद उड़ गई। पहाड़ी से आया एक बोल्डर सड़क किनारे लगाई गई दीवार पर अटक गया, गनीमत रही कि बोल्डर सड़क से नीचे बस्ती में नहीं गिरा।

भूस्खलन के कारण भारी मात्रा में मलबा आने से राज्य मार्ग-49 पर टिहरी-हिंडोलाखाल-देवप्रयाग-व्यासघाट व मालीखाल-बनपुरी-कपोलकाटल मोटर मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में इन मार्गों पर 15 दिनों तक यातायात ठप रहेगा। सोमवार को जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में बारिश से 26 मोटर मार्ग बंद रहे। इसमें शाम तक 20 मोटर मार्गों को यातायात के लिए खोल दिए गए।

तीन दिन बाद भी दुरुस्त नहीं हो सका मालन पुल का वैकल्पिक मार्ग

छह जुलाई को मालन नदी के उफान में बहा तल्ला मोटाढाक ह्यूमपाइप कॉजवे वैकल्पिक मार्ग तीन दिन बाद भी दुरुस्त नहीं हो सका है। यहां पर तीन दिन से फंसे वाहनों को लोनिवि ने नदी में उतारकर आवागमन शुरू करा दिया है, लेकिन दो पहिया व हल्के वाहनों के लिए यहां से गुजरना खतरनाक बना है। लोनिवि के अधिकारियों का कहना है कि मौसम अनुकूल होने पर वैकल्पिक मार्ग को ठीक होने में तीन दिन और लगेंगे। वहीं कोटद्वार के आमसौड़ गांव में भूस्खलन के बाद पांच परिवारों ने गांव से पलायन कर लिया है। वहीं पांच अन्य परिवार रात को गांव में सड़क के नीचे के सुरक्षित घरों में शरण लिए हुए हैं।

संबंधित जिला प्रशासन से जारी एडवाइजरी का जरूर पालन करें। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद सुमन ने बताया कुमाऊं क्षेत्र में लगातार बारिश का सिलसिला जारी है।

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