लद्दाख हिंसा : चार की मौत, दर्जनों घायल – केंद्र ने सोनम वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बुधवार को हुआ हिंसक प्रदर्शन बीते कई दशकों में सबसे गंभीर घटना के रूप में सामने आया है। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर उग्र हुए प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कम से कम 59 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 30 पुलिसकर्मी शामिल हैं। इस घटना को 1989 के बाद की सबसे बड़ी हिंसा माना जा रहा है।
हिंसा की भयावहता को देखते हुए लेह में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त तैनाती की है।
केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक पर लगाए गंभीर आरोप
हिंसा के कुछ ही घंटों बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर लद्दाख की मौजूदा स्थिति के लिए सीधे तौर पर पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का आरोप है कि वांगचुक की “भड़काऊ भाषणबाजी” और “व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं” ने युवाओं को उकसाया, जिससे शांति भंग हुई।
बयान में कहा गया, “24 सितंबर को सोनम वांगचुक द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण के बाद उग्र भीड़ ने लेह में एक प्रमुख राजनीतिक दल के कार्यालय और सीईसी कार्यालय पर हमला किया। कई सरकारी वाहनों और इमारतों में आगजनी की गई, सुरक्षाकर्मियों पर हमला हुआ।”
गृह मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि वांगचुक ने अपने भाषणों में ‘अरब स्प्रिंग’ और नेपाल के जेन ज़ी आंदोलनों का हवाला देकर युवाओं को भड़काया।
वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त की, युवाओं से की शांति की अपील
हिंसा की घटनाओं के बाद सोनम वांगचुक ने अपनी 15 दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की।
उन्होंने कहा, “यह लद्दाख और मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन है। पांच वर्षों से हम शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे थे – पैदल मार्च, भूख हड़तालें – लेकिन आज की हिंसा ने हमारी उस नैतिक ऊंचाई को चोट पहुंचाई है।”
वांगचुक ने आगे कहा कि युवाओं की निराशा की असली वजह “नौकरियों की कमी, लोकतांत्रिक अधिकारों का अभाव और छठी अनुसूची का अधूरा वादा” है। उन्होंने चेताया कि यदि सरकार युवाओं की मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो ऐसी घटनाएं और भी भयावह रूप ले सकती हैं।
कैसे भड़की हिंसा?
प्रदर्शन की शुरुआत बुधवार सुबह लेह में बंद के आह्वान के साथ हुई। आंदोलनकारी सड़कों पर उतरे और कुछ ही घंटों में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। भीड़ ने बीजेपी कार्यालय, सरकारी संपत्तियों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन झड़पें तेज हो गईं। कुछ प्रदर्शनकारियों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
उपराज्यपाल की प्रतिक्रिया
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा को “एक साजिश का नतीजा” बताया और कहा, “आज की घटनाएं स्वतःस्फूर्त नहीं थीं। हम शांति भंग करने वालों को नहीं बख्शेंगे।”
उन्होंने 1989 की घटना को याद करते हुए कहा कि यह लद्दाख में एक काले अध्याय की पुनरावृत्ति है, जब पुलिस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई थी।
आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें
लद्दाख के आंदोलनकारियों ने चार प्रमुख मांगें रखी हैं:
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना
छठी अनुसूची का विस्तार और संवैधानिक गारंटी
लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
स्थानीय युवाओं को नौकरियों में आरक्षण
केंद्र की ओर से क्या जवाब
गृह मंत्रालय ने कहा है कि एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ उच्चस्तरीय बातचीत जारी है। बयान में कहा गया कि..
अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% कर दिया गया है।
महिलाओं को स्थानीय निकायों में एक-तिहाई आरक्षण दिया गया है।
भोटी और पर्गी भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला है।
1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है।
बयान में कहा गया कि बातचीत के लिए तय हाई पावर कमिटी की बैठक अब 6 अक्टूबर के बजाय 25-26 सितंबर को आयोजित की जाएगी ताकि आंदोलनकारी संगठनों को विश्वास में लिया जा सके।
विपक्ष और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस हिंसा को लेकर कांग्रेस पार्षद फुंतसोग स्तानज़िन त्सेपग के खिलाफ उत्तेजक भाषण देने का मामला दर्ज किया गया है।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर “देश में अस्थिरता फैलाने की साजिश” रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह प्रदर्शन कांग्रेस का था, जिसे जानबूझकर ‘जेन ज़ी आंदोलन’ के रूप में पेश किया गया।”
लद्दाख की मौजूदा स्थिति भारत की संवैधानिक व्यवस्था और संघीय ढांचे के लिए एक चुनौती बनकर उभरी है। एक तरफ केंद्र सरकार विकास और बातचीत की प्रक्रिया पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ लद्दाख की जनता – विशेषकर युवा वर्ग – अपने भविष्य को लेकर गहरी निराशा और असंतोष महसूस कर रहा है।
यदि स्थिति पर शीघ्र और प्रभावी संवाद स्थापित नहीं किया गया, तो यह असंतोष एक लंबे राजनीतिक और सामाजिक संकट में बदल सकता है।


लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
GKM News is a reliable digital medium of latest news updates of Uttarakhand. Contact us to broadcast your thoughts or a news from your area. Email: newsgkm@gmail.com




Watch – दिल दहला देने वाला हादसा! चढ़ाई पर फिसले ट्रक ने रौंद दी स्कूटी..
लद्दाख हिंसा : चार की मौत, दर्जनों घायल – केंद्र ने सोनम वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार
उत्तराखंड में मानसून की विदाई..अब ऐसा रहेगा मौसम का हाल
पेपर लीक मामले में सरकार की सख्ती, सेक्टर मजिस्ट्रेट K.N. तिवारी निलंबित
उत्तराखंड को केंद्र का तोहफा, PM-ABHIM के तहत बनेगा हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर