उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल, भवाली, हल्द्वानी और कालाढूंगी रोड में लगाये जा रहे फूड वैनों के मामले में स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन से बिना लाइसेंस लिए फूड वैन लगाने वालो के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा है।
खंडपीठ ने फूड वैन के आसपास सड़क और जंगल मे किए गए अतिक्रमण को तत्काल प्रभाव से हटाने को भी कहा है।
आपकों बता दे कि नैनीताल परिक्षेत्र में संचालित फूड वैनों के मामले में न्यायालय ने 16 फरवरी को स्वतः संज्ञान लेकर जिलाधिकारी और नगर पालिका के ई.ओ.से स्थित स्पष्ट करने को कहा था। न्यायालय ने यह भी बताने को कहा है कि जिस वाहन को फूड वैन बनाया गया है, उसका परमिट किसके लिए था। आज जिलाधिकारी और अन्य अधिकारी न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।
अधिवक्ता कमलेश तिवाड़ी ने बताया कि न्यायालय ने जिलाधिकारी से पूछा कि किस नियमावली के तहत फूड वैन लगाने की अनुमति दी गयी। जिलाधिकारी ने न्यायालय को बताया कि इन्हें फूड वैन लगाने का लाइसेंस दिया गया है, लेकिन मोटर यान अधिनियम में इसका कोई प्रावधान नहीं है। जनहित याचिका में न्यायालय ने फूड वैनों के पर्यटन स्थलों में गंदगी और शराब परोसने का भी संज्ञान लिया है।
न्यायालय ने यह भी संज्ञान लिया है कि फूड वैन मालिक वाहन के टायर निकालकर उसके आसपास झोपड़ी और पक्की दीवारें भी बनाने लगे हैं। इसपर वन विभाग और लोक निर्माण विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। फूड वैन एक जगह खड़ी होने के कारण जाम की स्थित पैदा हो जाती है, इसलिए इन्हें चलते रहना चाहिए। क्षेत्र में जितनी भी फूड वैन लगी हैं वो सब अमीरों की हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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