उत्तराखंड की सियासत में बड़ा क़द हरीश रावत.. दांव पर है लालकुआं में रुतबा ?

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लालकुआं विधानसभा : पूर्व CM हरीश रावत की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर लगी है ऐसा इसलिए कि 2017 के विधानसभा चुनावों में दो सीटों से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जनता ने उन्हें दोनों ही जगह से नकार दिया था बड़ा नाम होने के बावजूद 2017 के चुनावी दंगल में वह बुरी तरह से शिकस्त खा गए थे।

उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार हरीश रावत तेज बारिश के बीच गांधीनगर के एक छोटे से कमरे में सभा कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है लालकुआं की लड़ाई किस कदर कांटे की है। चुनावी तैयारियों में तीन महीने से एक जगह नहीं टिक रहे रावत ने इस सीट से नाम घोषित होने के बाद आठ में छह दिन यहां बिताए हैं।

मतलब साफ है कि पिछले चुनाव में दो सीटें हारे रावत इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते। चुनावी ठीयों पर कान लगाने से पता चलता है कि लालकुआं की लड़ाई स्थानीय बनाम सीएम के चेहरे की तरफ जा रही है। यहां कांग्रेस और भाजपा से खड़े दो मजबूत बागियों का नाम लेना भी लोग नहीं भूलते।

लालकुआं सीट तब चर्चा में आई जब कांग्रेस ने यहां से घोषित प्रत्याशी संध्या डालाकोटी का टिकट काटकर रामनगर से घोषित प्रत्याशी पूर्व सीएम हरीश रावत को यहां से चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया।

कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लालकुआं से मैदान में उतरने से यह सीट राजनीतिक फलक पर चर्चा में है। सभी की निगाहें इस सीट पर लगी हुई हैं। यहां रोचक मुकाबले के आसार बन रहे हैं।

विधानसभा सीट के तौर पर लालकुआं इस बार यह तीसरा चुनाव देख रहा है। पूर्व सीएम हरीश रावत के मैदान में आने से इस सीट पर अब पूरे प्रदेश की नजर है। बीते दो चुनाव में यहां कांग्रेस को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा था। रावत के मैदान में आने से बगावत थमी जरूर है लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

कांग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि इस क्षेत्र में पार्टी के दो ध्रुव माने जाने वाले हरीश दुर्गापाल और हरेन्द्र बोरा इस समय रावत के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। दुर्गापाल 2012 में 25 हजार से अधिक वोट लेकर यहां निर्दलीय चुनाव जीते थे। 2017 में दुर्गापाल को टिकट मिलने पर हरेन्द्र बोरा ने बगावत की और उन्हें 14,709 से अधिक वोट मिले थे। निर्दलीय के तौर पर दुर्गापाल और बोरा को मिले वोट पर अब सबकी नजर है।

भाजपा हरीश रावत को बाहरी प्रत्याशी बताकर चुनावी रण से बाहर करना चाहती है तो कांग्रेस ने इसके जवाब में अतिथि देवो भव: का नारा बुलंद किया है। यही वजह है कि कांग्रेस की हर चुनावी सभा में अतिथि देवो भव: का नारा गूंज रहा है।

कालाढूंगी सीट की तरह लालकुआं में भी जातिगत फैक्टर फेल है। यहां करीब 42 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं जबकि दोनों प्रमुख दावेदार ठाकुर हैं। ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 33 फीसदी है। एससी और अल्पसंख्यक मतदाता यहां भी चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में नहीं हैं।

लालकुआं विधानसभा सीट का सबसे बड़ा हिस्सा बिंदुखत्ता वन भूमि पर बसा है। राजनीतिक कार्यकर्ता हरीश बिसौती कहते हैं बिंदुखत्ता में करीब 33 हजार वोटर हैं। इसलिए जमीन पर मालिकाना हक यहां सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। इसके अलावा गौला नदी हर साल किसानों की एकड़ों जमीन काट दे रही है। इसका भी लोग स्थायी समाधान चाहते हैं।

लालकुआं की बात करें तो यहां जिला पंचायत सदस्य भाजपा के प्रत्याशी मोहन बिष्ट और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच मुकाबला रोचक हो गया है । हरीश खेमे ने जहां भाजपा के चार दर्जन से अधिक संगठन और पार्टी कार्यकर्ताओं को तोड़ अपनी ओर कर लिया है वहीं भाजपा ने भी कई कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी ओर जोड़े हैं । दोनों भाजपा और कांग्रेस यहां आपसी लड़ाई से जूझ रहे हैं संध्या डालाकोटी जहां कांग्रेस के वोटों पर सेंधमारी कर रही हैं वही भाजपा के किले को पवन चौहान कमजोर कर रहे हैं । एक बात यहां गौर तलब है कि पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल और हरेंद्र बोरा पूरे कम्पैन में हरीश रावत के साथ हैं । दोनों ही पार्टी से खुद के लिए टिकट मांग रहे थे नाराजी के वावजूद रावत ने दोनों को अपने साथ रखा है ।

हालांकि 2017 चुनाव में 55 प्रतिशत वोटों से जीतकर विधानसभा पहुँचे नवीन दुमका इस बार टिकट से वंचित रहे । दुमका को यहां मिले मत हरेंद्र बोरा और हरीश दुर्गापाल को प्राप्त मत प्रतिशत से कहीं अधिक है । लेकिन इस बार इन दोनों के समर्थन के बाद भी चुनाव में यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यहां मुकाबला एकतरफा है । यानी लालकुआं में हरीश रावत कड़ा संघर्ष कर रहे हैं । हालांकि रावत ने टिकट प्राप्ति से आज की स्थिति में काफी सुधार किया है ।

यहां डॉ मोहन बिष्ट हालांकि निर्दलीय जिलापंचायत चुनाव में रिकार्ड मतों से विजयी हुए हैं लेकिन यहां उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है । क्योंकि उनके सामने पूर्व सीएम मैदान में हैं । चुनाव विश्लेषक बताते हैं कि इस सीट पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा ।

लालकुआं से निर्दलीय प्रत्याशी संध्या डालाकोटी कांग्रेस पार्टी के द्वारा टिकट वापस लिए जाने पर ,मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं और नारी सम्मान के नाम पर लाल कुआं की जनता से इमोशनल अपील करते हुए दिख रही हैं देखना यह है कि क्या संध्या डालाकोटी कांग्रेस को किस हद तक डैमेज कर पाती हैं।

कोट – यहां बड़ी बात ये है हरीश रावत जनता के बीच ये मैसेज पहुचाने में लगभग कामयाब रहे हैं की अब की बार लालकुंआ की जनता डायरेक्ट मूख्यमंत्री चुनने जा रही है जो विरोधियों के ऊपर सटीक बाउंसर की शक्ल अख़्तियार करता महसूस किया जा सकता है इसके अलावा पूर्व CM लालकुआं के चुनावी प्रचार में पूरा दमख़म दिखा रहे हैं लेकिन राह आसान नहीं है अब जनता किसके सर जीत का सेहरा बांधती है यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा।

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