उत्तराखंड के जंगलों में बन रहा था मौत का सामान.. हो रही थी अवैध हथियारों की सप्लाई.. पुलिस ने ऐसे किया खुलासा..जाने पूरी ख़बर

ख़बर शेयर करें

DEHARADOON UTTARAKHAND.. उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ को उस वक़्त बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब दोनों टीमों ने जंगल में हथियार बरामद किये. खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि जंगल में अवैध हथियार बनाये जा रहे थे. इन खतरनाक अवैध हथियारों को बेच का जाल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल तक फेला था. मामला उधम सिंह नगर के नानकमत्ता के हंसपुर खत्ता का है. जहाँ हंसपुर खत्ता के जंगलों में अवैध रूप से हथियार बनाये जा रहे थे.. खबर के मुताबिक आरोपी दीपा और साथी इन हथियारों को बनाते थे.वो जगह घने जंगल में आठ किलोमीटर अंदर बताई जा रही है. खबरों के अनुसार उत्तराखंड एसटीएफ और नानकमत्ता-खटीमा पुलिस की संयुक्त टीम ने शनिवार को हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, सुपारी किलिंग के कई मामलों में वांछित गुरदीप सिंह दीपा और उसके दो साथियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था.इसके साथ ही आरोपी दीपा पर 10 हज़ार का इनाम भही रखा गया था. दीपा के पास से एक पिस्तौल, बारह बोर की दो बंदूक और कारतूस बरामद हुए थे. पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि हंसपुर खत्ता के जंगल में हथियार बनाने की फैक्ट्री है. जहा यह अवैध हथियार बनाये जाते हैं. बीते शनिवार को देर हंसपुर खत्ता के जंगल में टीम के साथ पहुची जहा पहुच कर पुलिस ने मौके पर दो बंदूक, 1 तमंचा, बेल्ट में लगे 21 कारतूस, बंदूक की नाल बनाने के लिये रखी लोहे की 30 रॉड, हथियार बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाले उपकरण पंखा, हथौड़ा आदि बरामद हुए.इस मामले में एसओ कमलेश भट्ट का कहना है कि आरोपी दीपा हथियार बनाने में माहिर है. दीपा द्वारा बनाये गए अवैध हथियार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में उचे दामो में बिकते थे.

बताया जा रहा है कि पुलिस की टीम और वन विभाग दोनों की टीम जंगलों में कांबिंग समय-समय पर करती रहती है. हंसपुर, रनसाली रेंज में कुछ साल पहले माओवादियों की गतिविधियां मिली थी. इसके बाद से ये जंगल संवेदनशील माने जाते रहे हैं. इन जंगलों में वन विभाग की नियमित गश्त होती रहती है। इसके बाबजूद जंगल में टैंट लगाकर दीपा हथियार फैक्ट्री चला रहा था. इससे गश्त पर सवाल उठने लगे हैं. एसटीएफ के जंगल में लगाये कैमरों में दीपा और उसके साथियों की लोकेशन ट्रेस होने के बाद संयुक्त टीम ने उसे पकड़ा. लेकिन, वन विभाग को उसकी गतिविधियों का पता नहीं लगने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.उधर, पुलिस सूत्रों की मानें तो क्षेत्र के ग्रामीणों को फैक्ट्री की जानकारी होने की संभावना है, लेकिन माना जा रहा है कि दीपा के खौफ के चलते वे इसे लेकर चुप्पी साधे रहे.

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *