उत्तराखंड के वाद्ययंत्रों को बचाने के लिए बॉलीवुड के हास्य कलाकार और साथी सामने आए, जानिए क्या है माजरा…

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उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों को बचाने के लिए बॉलीवुड के हाश्य कलाकार हेमंत पांडे और नैनीताल कि ‘रन टू लिव’ संस्था सामने आई है। उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों की विलुप्तता पर पहाड़ के कई लोग मुखर दिखे हैं। चिंतकों ने नैनीताल के बेंड स्टैंड में इस यंत्र को बजाकर देश दुनिया तक संदेश देने को कहा है।


नैनीताल के एक निजी होटल में ‘रन टू लिव’ संस्था और पिथौरागढ़ निवासी बॉलीवुड के हाश्य कलाकार हेमन्त पांडे ने प्रेस वार्ता करी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों ने वाद्य यंत्रों के साथ वाद्य यंत्र बनाने वालों की विलुप्तता को रोक सकते हैं।

हाश्य कलाकार हेमंत पांडे ने कहा कि हम सब मिलकर इसके उत्थान में काम आ सकते हैं। वाद्य यंत्र बनाने वाले कम हो गए हैं और कई तो अब रहे ही नहीं हैं। संस्कृति विभाग और सरकार से इसे बचाने और संरक्षित रखने की मांग कर सकते हैं। जिला प्रशासन के माध्यम से इसकी प्रदर्शनी लगाई जाए। बताया गया कि इसपर कोविड से पहले एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है। इन यंत्रों को तांबे, लकड़ी या खाल से बनाया जाता है।

खाल का काम करने वाले, दूसरी धातु का वाद्य यंत्र नहीं बनाते हैं जबकि तांबे का काम करने वाले चमड़े का यंत्र नहीं बनाते हैं। पिथौरागढ़ में वाद्य यंत्रों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले चिंतकों का कहना है कि तांबे का काम करने वाले लोगों के पास पानी फिल्टर आदि का काम ज्यादा आता है। तांबे का बना वाद्य यंत्र देवी देवताओं का आह्वान करने के काम भी आता है। इसे मुख्य धारा में लाया जाए। इन लोगों का डाटा बेस बनाया जाए, सरकार इसे संरक्षण दे, ढोल, दमाऊ, हुड़का, मसकबीन, नगाड़ा, झांझर, तुरी, भूकर, डंवर, थाली, बीडॉई आदि को बचाने के लिए स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा जाए। ‘रन टू लिव’ के अध्यक्ष हरीश तिवारी ने नैनीताल के बेंड स्टैंड में इन वाद्य यंत्रों के संगीत का कार्यक्रम वर्षभर रखने की मांग की है।
हेमंत पांडे ने उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों के संरक्षण के लिए एक बड़ी वकालत की है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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