कुमाउँनी भाषा को बचाने के लिए अपनों से कुमाउँनी में बोलो, संगोष्ठी में एकमत हुए लोग…
उत्तराखंड के भीमताल में कुमाउँनी भाषा को सुरक्षित, संरक्षित और प्रसारित कर आम बोलचाल में पाने के लिए एक गोष्टी कक आयोजन किया गया । वक्ताओं ने कुमाउँनी भाषा को भारतीय अनुसूची में दर्जा देने की मांग की गई।
नैनीताल जिले के भीमताल में सोमवार को पहली बार कुमाऊनी भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए ‘अपुण बोली अपुण पहचान” विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया । आयोजकों ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी जिस तरह से कुमाउँनी भाषा को भूल रही है ये बहुत ही चिंताजनक और चुनौतीपूर्ण है । अगर सभी लोग समय रहते अपनी भाषा को बचाने के लिए एकजुट नहीं हुए तो इस भाषा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा । गोष्ठी में सभी समाजिक संगठन, मातृशक्ति और राजनीतिक दल के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कुमाऊनी भाषा को बचाने के लिए एकजुटता हुए ।
यहां आए वक्ताओं ने कहा कि परिवार के हर सदस्य को कुमाऊनी में ही बोलना होगा, जिससे समाज में कुमाऊनी भाषा का विस्तार हो सके इसके लिए हम सभी को आगे आना होगा । वर्तमान समय में कुमाऊनी भाषा को बचाए रखना जरूरी है, इस पीढ़ी को कुमाऊनी भाषा से जुड़ने के लिए यहां के लोगों को प्रयास करना चाहिए । वही आयोजकों ने कहा कि कुमाऊनी को बचाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को इसका प्रचार और प्रसार करना होगा । नई पीढ़ी में कुमाऊनी बोलने के प्रति लगाव पैदा करना होगा और हमें कुमाउँनी भाषा बोलने में शर्म नहीं आनी चाहिए । गोष्टी में एकमत होकर सभी लोगों ने कुमाऊनी भाषा को आठवीं सूची में दर्ज करने के लिए प्रयास करने की बात कही।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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