उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने मलिक और नजाकत अली के बगीचे मामले में सुनवाई करते हुए सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है जबकि मामले को छह सप्ताह के बाद सुनने की इच्छा जताई है। मलिक का बगीचा के याची की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने ऑनलाइन बहस में हिस्सा लिया।
नैनीताल जिले में हल्द्वानी के वनभूलपूरा क्षेत्र में पड़ने वाले मलिक और नजाकत अली के बगीचे के मामले में आज वरिष्ठ न्यायमूर्ति मंनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में सुनवाई हुई। न्यायालय में बहस के दौरान न्यायालय ने कहा कि विवादित भूमि को नजूल लैंड बताया गया है, जो दस वर्षों की लीज पर कृषि कार्यों के लिए दी गई थी लेकिन लीज खत्म होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं हुआ।
ये भी बताया गया कि नियम के अनुसार अगर दिए गए कारण के अलावा भूमि को दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो लीज स्वतः कैंसिल मानी जाती है।
याचिकाकर्ता साफिया मालिक के अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने बहस करते हुए कहा की उन्हें उस भूमि से न हटाया जाए और उनके निर्माण का ध्वस्तीकरण एक नियमित कानूनी प्रक्रिया के बाद ही किया जाए। सलमान खुर्शीद ने न्यायलय से शिकायत कर कहा कि उन्हें नोटिस जारी करने के चार दिनों के भीतर ध्वस्त कर दिया गया जबकि ये कार्यवाही 15 दिनों के बाद की जाती है।
याची के अधिवक्ता को असिस्ट कर रहे अहरार बेग ने बताया कि उन्हें गलत तरीके से ध्वस्त किया गया है। महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर ने बताया कि न्यायालय ने जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है जबकि याची को प्रतिउत्तर जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। बताया कि सरकार ने नियम से अतिक्रमण हटाने की ड्राइव के दौरान इस भूमि में अतिक्रमण ध्वस्त किया।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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