उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज परीक्षा में गलत प्रश्नों संबंधी याचिकाओं को स्वीकार करते हुए आयोग से एक प्रश्न को खत्म करने और दो प्रश्नों के लिए एक्सपर्ट टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने अपने आदेश मे दस हजार रुपये की पैनल्टी भी लगाई है।
ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में तरुण साहनी, दृष्टि मारवाह व अन्य, साक्षी गर्ग और अदीद नवाज ने ऊत्तराखण्ड पब्लिक सर्विस कमीशन के खिलाफ याचिका दायर की। सभी चार रिट याचिकाओं का संबंध उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा 2023 से जुड़ा है। प्रारंभिक परीक्षा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई थी। समान मुद्दों के कारण इन रिट याचिकाओं में एकसाथ सुनवाई की गई और सामान्य निर्णय से उनका निपटारा किया गया।
सिविल जज के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन, उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज परीक्षा 2023 के नाम से प्रकाशित किया गया था। परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जानी थी। पहले चरण में प्रारंभिक परीक्षा जो वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों पर आधारित होती है और दूसरे चरण में मुख्य परीक्षा शामिल है। प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वालों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है। प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करने का उद्देश्य मुख्य परीक्षा में उपस्थित होने के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करना है।
याचिकाकर्ताओं ने उपरोक्त विज्ञापन के जवाब में सिविल जज के पद के लिए आवेदन किया था। चूंकि वे सभी पात्र थे, इसलिए उन्हें प्रारंभिक परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई और उन्होंने इसमें भाग लिया। उत्तर कुंजी प्रकाशित की गई और आपत्तियां आमंत्रित की गईं। विभिन्न आपत्तियाँ प्रस्तुत की गईं और उसके बाद, अंतिम उत्तर कुंजी 29 मई 2023 को प्रकाशित की गई। आयोग ने अपनी वेबसाइट https://psc.uk.gov.in पर अनंतिम उत्तर कुंजी भी प्रकाशित कर उम्मीदवारों से आपत्तियां आमंत्रित कीं और आपत्तियां प्राप्त करने और आपत्तियों के निपटान के बाद, प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम प्रकाशित किया। चूंकि इन रिट याचिकाओं में किसी भी याचिकाकर्ता को प्रारंभिक परीक्षा में योग्य घोषित नहीं किया गया था, इसलिए उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों के संबंध में समान मुद्दे उठाते हुए रिट याचिकाएं दायर की।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने बीती 25 जुलाई को याचिका में आदेश को सुरक्षित रख लिया था, जिसके बाद आज खंडपीठ ने अपना निर्णय सुनाया।
खंडपीठ ने आयोग को प्रवेश परीक्षा में आए दो प्रश्नों की नए सिरे से जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा। विशेषज्ञ समिति में वे विषय विशेषज्ञ शामिल नहीं होंगे, जिन्होंने पहले उत्तर कुंजी की जाँच की है। इस पूरी प्रक्रिया को आयोग अगले चार हफ्ते में पूरा कर निर्णय वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा। खंडपीठ ने अपने निर्देश में सभी याचिकाकर्ताओं को राहत दी है और दस हजार रुपये की पैनल्टी भी लगाई है। याचिकाओं को स्वीकार करते हुए आयोग से एक प्रश्न को खत्म करने और दो प्रश्नों के लिए एक्सपर्ट टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं।
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