उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता संबंधी जनहित याचिका को सुनते हुए ई.ओ.को सस्पेंड और चैयरमैन की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज कर दिया है।
खंडपीठ ने अनियमितता के लिए दोनों पर ₹25,000/= की पैनल्टी भी लगाई है। वहीं चैयरमैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा और जांच में पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीयूष गर्ग ने बताया कि न्यायालय में पिछले दिनों काशीपुर निवासी ठेकेदार कृष्णपाल भारद्वाज ने तीन रिट याचिका दाखिल कर न्यायालय से कहा था कि उनके टेंडर को नन्दा देवी और दूर्गा पूजा महोत्सव से इरादतन बाहर किया गया। इसमें पालिका ने गलत नियत के साथ रमेश सिंह सजवाण को नियमों की अनदेखी कर ठेका दिया था।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे स्वतः संज्ञान(सुओ मोटो) पी.आई.एल.के रूप में ले लिया था। पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पालिका में मनमानी और वित्तीय अनियमितता को देखते हुए दोनों जिम्मेदारों पर तल्ख टिप्पणी भी की थी। आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता को देखते हुए जनहित याचिका में ई.ओ.आलोक उनियाल को सस्पेंड कर दिया है।
खंडपीठ ने चैयरमैन सचिन नेगी की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज करते हुए सरकार से नगर पालिका के अकाउंटों की जांच करने को कहा है। न्यायालय ने हाइकोर्ट के पूर्व जस्टिस इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाकर मामले की जांच करने के भी निर्देश जारी किए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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