उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गाँव में खनन सामग्री को लाने और ले जाने के लिए पट्टाधारक द्वारा अवैध सड़क निर्माण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी पिथौरागढ़ और डी.एफ.ओ.को निर्देश दिए हैं कि अवैध सड़क निर्माण का काम शीघ्र बंद करवाया जाए और 8 जून तक शपथपत्र पेश करें। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 8 जून को तय की है।
मामले के अनुसार पिथौरागढ़ के कानड़ी गाँव निवासी नीमा वल्दिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि उनके गांव में नदी के किनारे सरकार ने खनन के लिए 2022 में पट्टा लीज पर दिया था। शुरू में पट्टाधारकों ने मजदूर लगाकर खनन कार्य किया। बाद में खनन समाग्री को लाने व ले जाने के लिए उसने बिना अनुमति के वहाँ सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया । सड़क निर्माण के दौरान उसके द्वारा 100 से अधिक खैर और साल के पेड़ काट दिए।
जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो कुछ समय के लिए उसने सड़क निर्माण का काम बंद कर दिया। विरोध के शान्त होने के बाद, उसने फिर से सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया। जिला प्रसाशन ने भी उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया। जनहित याचिका में न्यायालय से प्राथर्ना की गई है कि अवैध रूप से बन रही सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाय जिस पर आज न्यायालय ने रोक लगा दी है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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