उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में खनन के खिलाफ मातृ सदन की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि खनन की शिकायतों के निस्तारण के लिए सेवानिवृत न्यायिक अधिकारी या सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी को नियुक्त करें।
जिससे कि खनन की शिकायतों का निस्तारण हो सके। खण्डपीठ ने एन. एम. सी. जी. से 5 जनवरी तक यह बताने को कहा है कि आपने केवल अवैध खनन पर रोक लगाई है या सम्पूर्ण खनन पर इस पर स्पस्टीकरण पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी की तिथि नियत की है। आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि एन.एम.सी.जी. ने 2018 के आदेश को संसोधित कर दिया है इसलिए सरकार ने खनन के आदेश दिए ।
जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एन. एम. सी .जी. ने खनन पर रोक के आदेश को समाप्त नही किया है बल्कि उसमें तीन अन्य शर्तें जोड़ दी है जिसमे पहला रायवाला से भोगपुर गंगा में किसी भी तरह का खनन कार्य नही होगा दूसरा अवैध खनन करने वालो के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एक सिस्टम बनाया जाय जिसकी जिम्मेदारी जिला अधिकारी या एसएसपी की होगी। तीसरा राययवाला से भोगपुर गंगा नदी के तट से 3 से 5 किलोमीटर के भीतर स्टोन क्रेशरों के लिए बफर जोन बनाया जाय।
जिसका अनुपालन अभी तक नही किया गया इसके विपरीत सचिव खनन के द्वारा इन आदेशों का गलत अर्थ निकालकर वहाँ 2019 में खनन की अनुमति दे दी गयी। इस आदेश के स्पस्टीकरण हेतु 2019 में मातृ सदन ने एन. एम. सी. जी . को एक और प्रत्यावेदन दिया जिसपर एन. एम .सी. जी . ने स्पस्ट करते हुए कहा कि 2018 के नियम यथावत रहेंगे।
मामले के अनुसार हरिद्वार मातृसदन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है जिससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा नदी में खनन करने वाले नेशनल मिशन क्लीन गंगा को पलीता लगा रहे है।
जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके। अब खनन कुम्भ क्षेत्र में भी किया जा रहा है। याचिकर्ता का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसीजी बोर्ड गठित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है। एनएमसीजी द्वारा राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नही किया जाय। उसके बाद में सरकार ने यहां खनन कार्य करवाया जा रहा है। यूएन ने भी भारत सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा को बचाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे। उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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