Haldwani – 1972 तक भूमिधरी में दर्ज हल्द्वानी_किस आदेश पर नजूल किया गया ? जवाब नहीं है…

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नजूल भूमि को लेकर संघर्ष समिति ने उठाए गंभीर सवाल, प्रशासन पर लगाया पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप

हल्द्वानी नजूल क्यों संघर्ष समिति’ ने शुक्रवार को भोला शंकर के आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें नागरिकों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने शासन द्वारा की जा रही नजूल भूमि की तोड़फोड़ को निरंकुश करार देते हुए कहा कि जिनके पास रजिस्ट्री भूमि है, उन्हें न केवल उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा, बल्कि उनकी भूमि को नजूल के नाम पर ध्वस्त किया जा रहा है।

समिति के सह-संयोजक जहीर अंसारी ने बताया कि हल्द्वानी के निवासियों को उनका मालिकाना हक दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। इसके साथ ही, एडवोकेट अहरार बेग द्वारा जिला न्यायालय में सिविल सूइट दायर किया जा रहा है, जिसका नोटिस तीन महीने पहले जिलाधिकारी को भेजा गया था।

समिति के संयोजक प्रकाश चंद्र हर्बाेला ने बैठक के दौरान यह सवाल उठाया कि हल्द्वानी नगर की खतौनी में 1969 से 1972 तक भूमिधरी वर्ग 1(क) दर्ज था, लेकिन फिर 1975 में किस आदेश से भूमि का वर्गीकरण बदलकर नजूल कर दिया गया, इसका कोई स्पष्ट जवाब प्रशासन नहीं दे सका।

उन्होंने यह भी बताया कि सूचना अधिकार के तहत पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिला। सूचना आयुक्त के आदेश में कहा गया था कि लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सक्षम न्यायालय में वाद दायर करें। हर्बाेला ने उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना संख्या 49(2)/94-81-94-रा/14, दिनांक 2/6/1995 का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि हल्द्वानी नगर में बंदोबस्ती लागू की गई थी, जबकि यह केवल भूमिधरी के गांवों में लागू होती है। ऐसे में हल्द्वानी को नजूल क्यों घोषित किया गया?

हल्द्वानी नजूल क्यों की ये आवाज़ जनजन तक फैलाने की मुहीम शुरू हो गयी है। अब अधिकार की आवाज़ को वोट की चोट के रूप में हल्द्वानी की जनता इस्तेमाल करेगी उन्होंने कहा लोकतंत्रा में हर व्यक्ति का वोट अत्यंत महत्वपूर्ण है। आगामी निकाय चुनावों में हमें अपने मत का प्रयोग एक हथियार के रूप में करना चाहिए। जो भी दल या व्यक्ति हमें भूमिधरी का हक दिलाने का प्रयास करेगा, हम उसे ही अपना मत देंगे।

समिति के नेताओं ने नागरिकों से अपील की कि वे इस मुद्दे को लेकर जागरूक हों और घर-घर जाकर जनसंपर्क करें ताकि यह मुद्दा और अधिक प्रमुख हो सके। बैठक में प्रमुख रूप से भोला शंकर जोशी, एडवोकेट अहरार बेग, मनोज अग्रवाल, तनुज गुप्ता, टीटू अग्रवाल, योगेंद्र भट्ट, उमेश, पुष्कर बिष्ट और अन्य समिति सदस्य उपस्थित थे।

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