नैनीताल ज़िले के अन्तर्गत भीमताल सलडी तथा जियोलिकोट से हल्द्वानी तक सड़क किनारे दुकानें कर अपनी आजीविका चलाने वाले उत्तराखंड के मूल निवासियों के साथ उत्तराखंड सरकार को भी मालिकाना हक़ देना चाहिए क्योंकि उक्त क्षेत्रों में 19,50 से विस्थापित दुकानदार पर्यटन के साथ साथ उत्तराखंड में पलायन को रोकने में मददगार साबित हुए हैं ।
उस टाइम पर वन पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर उक्त भूमि दियी गयी थी इसलिए प्रदेश सरकार उनको उजडने से बचाने के लिए बन पंचायती की भूमि बंजर भूमि बेनाप भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक़ दे तभी उत्तराखंड से पलायन एवं उत्तराखंड के मूल निवासियों की रक्षा हो सकती है ।
उक्त बात भीमताल पत्रकार वार्ता कोसंबोधित करते हुए पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरू कहीं और प्रमाण पत्र के साथ 1975 वनपंचायत के अभिलेख दिखाये इसलिए माननीय न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए उक्त भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक़ देने हेतु कैबिनेट से पास कराकर आगे की कार्रवाई कराई जाए ।
हाईकोर्ट नैनीताल में सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दाख़िल हो क्योंकि पहले से ही पलायन की मार झेल रहे पहाड़ी क्षेत्र में एक बार फिर से नौ जवान उक्त घटना का संज्ञान लेकर पलायन करने को मजबूर हो सकते हैं तथा पर्यटन व्यवसाय पर भी इसका असर पड़ सकता है।
युवा तथा बेरोज़गारों को लगने लगे कि अपने राज्य में पराये है क्योंकि इसमें बहुत सारे बेरोज़गार कोरोना काल में सरकार के आह्वान पर उत्तराखंड आकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं इस इस संबंध में कल प्रभागीय वन अधिकारी नैनीताल चन्द्रशेखर जोशी को अभिलेखों के अवगत करा चुके है।
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