गढ़वाल : अरबों रुपये की लागत से बने डोबरा चांठी पुल के मास्टिक में तीसरी बार पड़ी दरार ..कौन ज़िम्मेदार
उत्तराखंड: – टिहरी : देश सबसे बड़े टिहरी बांध की झील पर बने डोबरा चांठी पुल पर तीसरी बार दरारें पड़ने लगी है जी हां भारत के पहले सिंगल सस्पेंशन डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक में एक बार फिर से दरार पड़ने लगी है जिससे सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं ऐसा पहली बार नहीं है कि डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक पर दरार पड़ी है ताज्जुब तो इस बात का है कि साल 2020 में बनकर तैयार हुए इस पुल पर कुछ ही महीनों में तीसरी बार दरार पड़ी है ऐसे में सवाल खड़े होना लाजमी है इसका जिम्मेदार कौन है ग्रामीणों ने सरकार और शासन से उच्च स्तरीय जांच कमेटी के गठन की मांग की है।
.हरी और प्रतापनगर वासियों की उम्मीदों का पुल। इस पुल को आकार लेने में पूरे 15 साल लगे, लेकिन उद्घाटन के महज कुछ ही महीनों बाद इस पुल की ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्हें देख लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। देश के पहले सिंगल सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल पर बिछी मास्टिक में एक बार फिर दरार पड़ने लगी है, और ये पहली बार नहीं हो रहा। मास्टिक पर दरारें पड़ने का यह तीसरा मामला है। जिससे लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। साल 2020 में टिहरी झील के ऊपर बनकर तैयार हुए इस पुल पर तीसरी बार दरार पड़ी है।
पुल के ऊपर बिछे मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने से जनता में आक्रोश है। उन्होंने गुप्ता कंपनी पर भी सवाल खड़े किए। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह पुल प्रतापनगर की जनता के संघर्षों का परिणाम है, जो कि प्रतापनगर की लाइफ लाइन है। बता दें कि डोबरा-चांठी पुल की लंबाई 725 मीटर है। इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। पुल में 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड से है, पुल की चौड़ाई 7 मीटर है।
पुल पर बिछी मास्टिक की दरारों को देखकर ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचनी शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि दरारों को तत्काल ठीक कराया जाए, लेकिन बार-बार दरारें पड़ने के बावजूद कोई अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा। अगर इसी तरह अनदेखी की गई तो यह पुल ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएगा। अधिकारियों को पुल के प्रति गंभीर होना पड़ेगा। स्थानीय लोगों ने एक बार फिर मास्टिक बिछाने वाली कंपनी के खिलाफ जांच कराने की मांग की है। वहीं लोक निर्माण विभाग के कार्य देख रहे अधिशासी अभियंता पवन ने बताया कि पुल के मेंटेनेंस का कार्य पांच साल तक कंपनी ही करेगी।डोबरा चांठी ब्रिज की मास्टिक पर पड़ी दरारों को ठीक करने के लिए कंपनी के कर्मचारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। पांच साल तक जो भी काम किए जाएंगे वो कंपनी की देखरेख में ही किए जाएंगे।
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