उत्तराखंड में 361 सीएचओ की तैनाती को चुनाव आयोग की मंज़ूरी

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उत्तराखंड – देहरादून : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रदेशभर के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में शीघ्र ही 361 सीएचओ की तैनाती की जायेगी। स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर निर्वाचन आयोग ने इसकी मंजूदी दे दी है। विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को प्रदेश में सीएचओ के रिक्त पदों के सापेक्ष शीघ्र तैनाती देने के निर्देश दिये हैं।

सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावन ने बताया कि प्रदेश में सीएचओ के रिक्त पदों को भरने के प्रक्रिया पूर्व से चल रही थी। लोकसभा चुनाव-2024 के मध्यनजर प्रदेश में प्रभावी आदर्श आचार संहिता के चलते सीएचओ की तैनाती नहीं की जा सकी।

राज्य में लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के उपरांत विभाग द्वारा निर्वाचन आयोग सके रिक्त पदों के सापेक्ष चयनित सीएचओ के 361 पदों पर तैनाती की अनुमति मांगी गई थी। जिस पर आयोग द्वारा अनुमति मिलने के उपरांत विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी जनपदों में रिक्त पदों पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती के निर्देश दे दिये गये हैं।

डॉ. रावत ने बताया कि इससे पहले प्रदेश में स्वीकृति सीएचओ के 1683 पदों के सापेक्ष 1515 पदों पर गत वर्ष सीएचओ की तैनाती की जा चुकी है। शेष रिक्त पदों पर शीघ्र तैनाती को कहा गया है। उन्होंने बताया कि नियत समय सीमा के अंतर्गत यदि चयनित अभ्यर्थियों द्वारा योगदान नहीं दिया जाता है तो उनके स्थान पर रिक्त पदों को प्रतिक्षा सूची से भर दिया जायेगा। जिसके निर्देश अधिकारियों को दे दिये गये हैं।

प्रदेशभर में सीएचओ के रिक्त 361पदों के सापेक्ष जनपद देहरादून में 20, पौडी 60, टिहरी 91, चमोली 29, रूद्रप्रयाग 23, उत्तरकाशी 08, हरिद्वार 24, उधमसिंह नगर 12, चम्पावत 10, पिथौरागढ़ 34, नैनीताल 10, अल्मोड़ा 12 व बागेश्वर में 28 सीएचओ की तैनाती की जायेगी।

विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि प्रदेशभर में सीएचओ के सभी 1683 पदों के सापेक्ष तैनाती के उपरांत स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश में कार्यरत सीएचओ अपने कार्य एवं दायित्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करेंगे।

सीएचओ के प्रमुख कार्य एंव दायित्व

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्य कार्य ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। इन कार्यों में मरीजों का इलाज करवाना, ओपीडी का संचालन करना एवं गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उचित स्वास्थ्य सलाह देना शामिल है।

इसके अलावा दुर्घटना की स्थिति में वह व्यक्ति को प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध करवाते हैं। उन्हें आशा वर्कर, एएनएम एवं ग्राम प्रधान के साथ मिलकर स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं एवं कार्यों की जानकारी भी आम लोगों तक पहुंचानी होती है।

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