उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के दुर्गम और अतिदुर्गम पलायन ग्रस्त गांव में अकेले छूटे वृद्धों को मूलभूत सुविधा देने संबंधी जनहित याचिका पर याची से 6 सप्ताह में सप्लीमेंट्री एफिडेविट जमा करने को कहा है। साथ ही खंडपीठ ने प्रभावित लोगों को पी.आई.एल.में सम्मिलित करने को कहा है।
बागेश्वर निवासी समाजसेवी और हाईकोर्ट में प्रेक्टिस कर रही अधिवक्ता दीपा आर्या ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि प्रदेश के दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में जिन परिवारों के लोग नौकरी व अन्य कारणों से पलायन कर चुके हैं, उन परिवारों के वृद्ध अकेले ही मुश्किलों भरा जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में, देखरेख से विरत इन लोगो के जीवन शरदकाल व बरसातों के साथ अन्य समय भी नरक से बत्तर हो जाते हैं।
इन क्षेत्रों में एन.जी.ओ.भी नहीं पहुँच पाती है, जिससे इन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाती है। याची ने इन सीनियर सिटीजनों को सोशियल वैलफेयर एक्ट के तहत सहायता दिलाने की प्रार्थना की है।
याची ने प्रार्थना में ये भी उम्मीद की है कि सरकार की आंगनबाड़ी व आशा बहनों के माध्यम से ऐसे लोगों का डाटा तैयार किया जाए और सरकार इन्हें एक नीति के तत्काल मदद पहुंचाए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ.गोविंद लटवाल ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से ऐसे प्रभावितों का आंकड़ा देने व इन्हें इस जनहित याचिका में जोड़ने के लिए कहा है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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