चमोली त्रासदी: मलबे से निकले शव,मां ने दोनों जुड़वा बेटों को आखिरी सांस तक थामे रखा..

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नंदानगर, चमोली –

उत्तराखंड के चमोली जिले का नंदानगर क्षेत्र भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से भारी तबाही का सामना कर रहा है। ‘कुंतरी लगा फाली’ गांव में 19 सितंबर को हुई इस प्राकृतिक आपदा ने कई जिंदगियों को निगल लिया। इसी त्रासदी में एक दिल को झकझोर देने वाला दृश्य तब सामने आया, जब रेस्क्यू टीम ने मलबे के नीचे से एक मां और उसके दो बच्चों के शव बरामद किए।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबा हटाने पर जब 38 वर्षीय कांता देवी का शव मिला, तो वह अपने दोनों 10 वर्षीय जुड़वा बेटों विकास और विशाल को सीने से लगाए हुए थीं। मां की ममता और बच्चों को बचाने की अंतिम कोशिश का यह हृदयविदारक दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों की आंखों को नम कर गया। कुछ लोग तो फूट-फूट कर रो पड़े।

पति ने बचाने की भरसक कोशिश की, पर नहीं बचा सका परिवार

कांता देवी के पति, कुंवर सिंह भी इस हादसे में मलबे के नीचे दब गए थे। हालांकि, राहत दल ने उन्हें घटना के करीब 16 घंटे बाद जीवित बाहर निकाल लिया। फिलहाल उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। बताया गया कि उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन भारी बारिश और मलबे की गति के आगे उनका प्रयास असफल रहा।

विकास और विशाल, जो कक्षा चार में पढ़ते थे, अपने माता-पिता के साथ घर में थे जब यह त्रासदी घटी। कुंवर सिंह का पूरा घर हजारों टन मलबे में दब गया।

अब तक 7 की मौत, 2 लापता

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इस आपदा में अब तक कुल सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो लोग लापता हैं। मृतकों की पहचान इस प्रकार की गई है:

  1. कांता देवी (38 वर्ष)
  2. विकास (10 वर्ष)
  3. विशाल (10 वर्ष)
  4. नरेंद्र सिंह (40 वर्ष)
  5. जगदम्बा प्रसाद (70 वर्ष)
  6. भागा देवी (65 वर्ष)
  7. देवेश्वरी देवी (65 वर्ष)

लापता लोगों में धुरमा गांव के गुमान सिंह (75 वर्ष) और ममता देवी (38 वर्ष) शामिल हैं। उनकी तलाश अभी भी जारी है।

मुख्यमंत्री धामी ने लिया जायजा, पीड़ितों से की मुलाकात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को नंदानगर क्षेत्र का दौरा किया और राहत-बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। सीएम धामी ने जिला प्रशासन को राहत कार्यों में तेजी लाने और लापता लोगों की खोज में कोई कसर न छोड़ने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड हर साल मानसून में भूस्खलन और भारी बारिश की मार झेलता है। चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और टिहरी जैसे पर्वतीय जिले विशेष रूप से संवेदनशील हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियंत्रित निर्माण और जलवायु परिवर्तन इन आपदाओं की तीव्रता को बढ़ा रहे हैं।

यह त्रासदी न केवल एक परिवार को उजाड़ गई, बल्कि पूरे क्षेत्र को झकझोर गई है। मलबे के नीचे दबी मां की ममता और बच्चों के लिए उसकी अंतिम जद्दोजहद..

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