BREAKING : धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड भू कानून को दी मंजूरी,बजट सत्र में किया जाएगा पेश..
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देहरादून। उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने बहुप्रतीक्षित भू कानून को मंजूरी दे दी है। राज्यभर में लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी। सरकार ने इसे बजट सत्र में पेश करने का फैसला लिया है, जिससे विधिवत रूप से इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
देहरादून में विधानसभा के बजट सत्र के बीच आज बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की महत्वपूर्ण बैठक हुई। कैबिनेट की बैठक में भू-कानून में संशोधन संबंधी विधेयक समेत कई अहम प्रस्ताव पर चर्चा हुई है।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन है। बजट सत्र के बीच बुधवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश में सशक्त भू-कानून पर मुहर लगी।
नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान
2018 के सभी प्रावधान निरस्त
राज्य सरकार द्वारा पूर्व में 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती
पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
शपथ पत्र अनिवार्य होगा
राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।
क्या होगा नए कानून का प्रभाव ?
इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।
क्या है नया भू कानून?
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत इस भू कानून के तहत बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य में जमीन खरीदने पर कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जिससे बाहरी निवेशकों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगे और स्थानीय लोगों के हित सुरक्षित रहें।
भू कानून की मंजूरी क्यों महत्वपूर्ण?
स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा – इससे उत्तराखंड के मूल निवासियों की भूमि सुरक्षित रहेगी।
बाहरी खरीद पर नियंत्रण – बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध जमीन खरीदने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी।
पर्यावरण संतुलन – अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोका जा सकेगा।
पलायन पर रोक – जमीन सुरक्षित रहने से पहाड़ों से पलायन की समस्या कम हो सकती है।
आगे क्या?
अब यह प्रस्ताव बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसके पारित होने के बाद उत्तराखंड में भूमि खरीद से जुड़े नए नियम लागू हो जाएंगे।
राज्य के लोगों के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि लंबे समय से भू कानून की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन और युवा आंदोलनरत थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं के अनुरूप निर्णय ले रही है और यह कानून उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
क्या है भू-कानून और क्यों हो रही है इसकी मांग
भू-कानून वह कानून होता है, जो किसी राज्य में जमीन की खरीद-फरोख्त को नियंत्रित करता है। उत्तराखंड के लोग मांग कर रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य पर्वतीय राज्यों की तरह यहां भी सख्त भूमि कानून लागू किया जाए, ताकि बाहरी व्यक्तियों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने और स्थानीय आबादी को विस्थापित होने से रोका जा सके।
मुख्य बिंदु: उत्तराखंड में भू-कानून की जरूरत क्यों?
बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद में बढ़ोतरी
पिछले कुछ वर्षों में राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों और गांवों में बाहरी निवेशकों ने तेजी से जमीन खरीदी है। इससे स्थानीय लोगों की जमीनें महंगी होती जा रही हैं और वे खुद अपनी जमीन नहीं खरीद पा रहे।
जनसंख्या असंतुलन और पलायन
बाहरी लोगों के बढ़ते दखल के कारण स्थानीय संस्कृति और परंपराएं खतरे में पड़ रही हैं। कई गांवों में मूल निवासी कम होते जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक पहाड़ी समाज की संरचना प्रभावित हो रही है।
पर्यावरण पर प्रभाव
अनियंत्रित भूमि खरीद से बेतरतीब निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। पहाड़ों की हरियाली और जल स्रोतों पर भी संकट मंडरा रहा है।
रोजगार और आजीविका पर असर
बाहरी लोगों द्वारा होटल, रिज़ॉर्ट और अन्य व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनाए जाने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के कम अवसर मिल रहे हैं, क्योंकि अधिकांश नौकरियां बाहरी लोगों को दी जा रही हैं।
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