उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजनीति को शिक्षा का अभिन्न अंग मानते हुए दो वर्ष के कोविड कार्यकाल के प्रतिफल छात्रों को चुनाव लड़ने के लिए उम्र में दो वर्ष की छूट दी है। वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने ये छूट दो वर्ष तक देहरादून के डी.ए.वी.और अन्य छात्रसंघ चुनाव में भागीदारी करने वाले छात्रों के लिए दी है।
उच्च न्यायालय ने बीती आठ नवंबर को एक आदेश पारित कर छात्रसंघ चुनाव में भागीदारी कर रहे छात्र छात्राओं को उनकी उम्र में दो वर्षों की छूट देने के निर्देश दिए हैं। देहरादून निवासी अंकित बिष्ट ने राज्य सरकार व अन्य के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि, छात्रसंघ चुनाव में उन्हें भागीदारी करने के लिए दो वर्षों की छूट दी जाए। एकलपीठ ने कहा कि दो वर्षों के कोविड काल के कारण चुनाव सम्पन्न नहीं हो सके जिसके कारण याचिकाकर्ता इस दौरान चुनावों में भागीदारी नहीं कर सका।
उन्होंने कहा कि चुनाव में भागीदारी करना शिक्षा का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग है। वरिष्ठ न्यायाधीश ने माना कि ये अवसर छात्र नेताओं की प्रतिभा को उभारने के लिए दिया जाता है, जिससे ये छात्र वंचित रहे हैं, इसलिए इस याचिका में सहमति दी जाती है। न्यायालय ने प्रतिवादी को निर्देश दिए हैं कि वो चुनाव में भागीदारी कर रहे ऐसे छात्र छात्राओं को दो वर्षों तक उम्र में दो वर्ष की छूट प्रदान करें। न्यायालय ने ये भी कहा है कि छात्रसंघ चुनाव में भागीदारी करने वाले सभी छात्र छात्राओं को दो वर्ष उम्र का लाभ दिया जाए। न्यायालय का ये आदेश प्रदेशभर के छात्रसंघ चुनावों में लागू रहेगा।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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