उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विधानसभा प्रशासन के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में नोटिस जारी कर पूछा है कि न्यायालय के आदेशों और एफिडेविट के बावजूद कर्मचारियों को आंखिर क्यों नहीं आने दिया जा रहा है ?
वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने आज विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारी भूपेंद्र सिंह बिष्ट की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। मामले के अनुसार विधानसभा के लगभग 200 लोगों को विधानसभा प्रशासन ने सितंबर 26, 27, 28 और 29 के आदेशों के बाद विधानसभा से प्रोसीडिंग रिपोर्टर, एडिटर, एडिशनल प्राइवेट सेक्रेटरी, डिप्टी प्रोटोकॉल अधिकारी, सूचनाधिकारी, कैटेलोगर, कम्प्यूटर ऑपरेटर और कम्प्यूटर एसिस्टेंट के कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।
विधानसभा के इस आदेश से वर्ष 2016 व इसे बाद की भर्ती वालों की सेवा समाप्त कर दी गई थी। निलंबित कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली जिसके बाद न्यायालय ने तीन आदेशों से लगभग 196 लोगों को दोबारा सेवा करने का फिलहाल मौका मिल गया था। न्यायालय ने विधानसभा के आदेशों पर रोक लगा दी जिसके बाद निलंबन के जारी आदेश निष्क्रिय हो गए थे। न्यायालय ने निलंबित कर्मचारियों को विधानसभा प्रशासन को एफिडेविट देने को कहा था जो कर्मचारियों द्वारा अविलंब दे दिया गया था।
न्यायालय के आदेशों के बावजूद इन लोगों को विधानसभा में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिससे आहत होकर कर्मचारी एक बार फिर से न्यायालय की शरण मे अवमानना याचिका के साथ पहुंचे। याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने कहा कि एकलपीठ ने आज विधानसभा प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांग लिया है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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