टिहरी झील का जल-स्तर बढ़ने से पास के गांव में पड़ी दरारे..सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नही हो रहा लोगो का विस्थापन.. लोगो की जल समाधि लेने की चेतावनी

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टिहरी गढ़वाल (GKM NEWS SULEMAAN KHAN ) टिहरी झील के बढ़ते जल स्तर से आस पास रहने वाले लोगो में डर का माहौल बना हुआ है.. आपको बता दें कि टिहरी झील का जलस्तर 822 RL मीटर पहुंच गया है. टिहरी झील के समीप बसा रौलाकोट गांव खतरे में है.दूसरी तरफ गांव के तीनों तरफ भूस्खलन हो रहा है.

लोगो के मकानों और जमीनों में दरारें पड़ रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मकानों और जमीन में दरारें पड़ने लगी हैं. जिससे गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं. गांव वालो की कोई सुनने को तैयार नही है..जबकि खतरा बरकरार है.. रौलाकोट गांव में 150 के करीब परिवार रहते हैं. लोगों का कहना है कि दहशत के मारे वो रात को सो नहीं पा रहे हैं. ग्रामिणो ने कहा कि वो विस्थापन की मांग को लेकर हम कई सालों से अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं,

लेकिन कोई सुन नहीं रहा है. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने रौलाकोट गांव के विस्थापन के निर्देश दिए थे. लेकिन टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग ने अब तक विस्थापन नहीं किया है. गांव वालों का कहना है कि वो 20 साल से मुश्किल हालात में रह रहे हैं. ग्रामीणों ने अब शासन और प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिन के अंदर विस्थापन नहीं हुआ तो वो धरने पर बैठ जाएंगे. फिर भी मांग नहीं मानी गई तो जल समाधि ले लेंगे.

अधिवक्ता शांति भट्ट का कहना है कि रौलाकोट गांव का विस्थापन किए बिना झील का जलस्तर 825 RL मीटर से ऊपर तक भरने की अनुमति कैसे दी गई. जब तक रौलाकोट गांव का विस्थापन 20 साल से नहीं हो सका है.पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए रौलाकोट का विस्थापन करते फिर जलस्तर भरते,लेकिन टीएचडीसी ओर पुनर्वास बिभाग ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश का पालन आज तक नही किया,

जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है, सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार और टीएचडीसी के अधिकारियों को 2009 और 2010 में अलग-अलग अन्तरिम आदेशों में एक जनहित याचिका संख्या 22885/2005 किशोर उपाध्याय व अन्य बनाम भारत संघ और अन्य में आदेश पारित किया था.

इस आदेश में तत्काल रौलाकोट आदि गावों के विस्थापन के निर्देश दिये थे. परन्तु 15 साल बीत गये आज तक रौलाकोट आदि गावों का विस्थापन नहीं हुआ. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि टिहरी झील से जिन गांवों को नुकसान हुआ है.

उनका सर्वे भू-वैज्ञानिकों की टीम करती है. उसके बाद ही गावों के विस्थापन की कार्रवाई होती है. रौलाकोट गांव के ग्रामीणों का विस्थापन पात्रता के आधार पर टीएचडीसी में विचाराधीन है.जिस पर शासन में कार्यवाही गतिमान है.

बाइट कलम सिंह बिष्ठ ग्रामीण

बाइट श्रीराम थपलियाल ग्रामीण

बाइट शांति भट्ट एडवोकेट

बाइट मंगेश घिल्डियाल डीएम/पुनर्वास निदेशक टिहरी

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