मद्रास हाई-कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चुनाव आयोग.. मद्रास हाई-कोर्ट ने चुनाव आयोग कों भयंकर कोरोना महामारी की दूसरी लहर का माना था ज़िम्मेदार.. लगाई थी फटकार..
दिल्ली.. पिछले कई हफ्तों से कोरोना महामारी अपना भयंकर रूप दिखा रही है.. देशभर में महामारी ने आतंक मचा रखा है.. हज़ारों की संख्या में हर दिन नये मामले सामने आ रहें हैं जबकि सैकड़ो लोगों कों अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.कुछ दिन पहले देश में कोरोना से बिगड़ते हालातों कों देखते हुए मद्रास हाई- कोर्ट ने चुनाव आयोग कों कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था.
मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार करार दिया था और कहा कि वह ”सबसे गैर जिम्मेदार संस्था” है. इस बीच मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. चुनाव आयोग ने शनिवार को सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की है.
याचिका में हाईकोर्ट की “अपमानजनक टिप्पणी” को हटाने की मांग की गई और कहा गया है कि हाईकोर्ट खुद एक संवैधानिक संस्था है. चुनाव आयोग भी संवैधानिक संस्था है इसलिए हाईकोर्ट को ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ के समक्ष 3 मई को सुनवाई के लिए चुनाव आयोग की याचिका सूचीबद्ध है.
मद्रास हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है. आयोग ने राजनीतिक दलों को रैलियां और सभाएं करने की अनुमति देकर महामारी को फैलने का मौका दिया. कोर्ट ने कहा था, ‘‘क्या आप दूसरे ग्रह पर रह रहे हैं.’’
राज्य के परिवहन मंत्री की जनहित याचिका पर कोर्ट ने की थी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी तथा न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में करूर से अन्नाद्रमुक उम्मीदवार एवं राज्य के परिवहन मंत्री एम आर विजयभास्कर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी. इस याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया था कि दो मई को करूर में कोविड-19 रोधी नियमों का पालन करते हुए निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित की जाए.
याचिकाकर्ता ने कहा था कि करूर निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव में 77 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई है, ऐसे में उनके एजेंट को मतगणना कक्ष में जगह देना काफी मुश्किल होगा. इससे नियमों के पालन पर असर पड़ सकता है. चुनाव आयोग के वकील ने जब न्यायाधीशों को बताया कि सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं तो पीठ ने कहा कि उसने (आयोग) राजनीतिक दलों को रैलियां और सभाएं करने की अनुमति देकर कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप का रास्ता साफ कर दिया था.
मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को दी थी चेतावनी
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि देश में महामारी की दूसरी लहर फैलने के लिए निर्वाचन आयोग को ‘अकेले’ जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. न्यायाधीशों ने मौखिक रूप से चेतावनी दी थी कि वे दो मई को होने वाली मतगणना रोकने से भी नहीं हिचकिचाएंगे. चार राज्यों-तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल और केन्द्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. इन राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना दो मई को होगी
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