काम से निकालने पर आशाओं में भारी आक्रोश, किया प्रदर्शन

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हल्द्वानी नैनीताल (GKM news ) ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने चम्पावत की आशाओं को बहाल करने, आशाओं का उत्पीड़न बंद करने और आशाओं की मांगों का समाधान करने की मांग पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के पश्चात छह सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री महोदय और स्वास्थ्य मंत्री महोदय को भेजा गया। इस राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन में अन्य आशा यूनियनों ने भी भागीदारी की।

इस अवसर पर बोलते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (सम्बद्ध- ऐक्टू) के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “अपनी न्यायसंगत मांगों को उठाने वाली आशाओं के खिलाफ कार्यवाही किया जाना राज्य सरकार द्वारा महिला श्रम के घोर उत्पीड़न का उदाहरण है। चम्पावत मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा 264 आशाओं को निकालने के आदेश जारी किए हैं और उधमसिंहनगर जिले में भी आशाओं को धमकाया जा रहा है.

यह कतई अस्वीकार्य है। कोरोना की अग्रिम योद्धा आशाओं को निकालने यह कार्यवाही बेहद अन्यायपूर्ण व कोरोना योद्धा आशाओं के सम्मान पर चोट है। कोरोना काल में क्वारेन्टीन सेन्टरों में ड्यूटी से लेकर कोरोना मरीजों की लिस्ट तैयार करने, कोरोना के बारे में सरकार के जागरूकता अभियान में सबसे आगे रहकर भागीदारी करने वाली आशाओं को सम्मान और सम्मानजनक वेतन देने का प्रस्ताव लाने के बजाय उनको धमकी देने और निकालने की कार्यवाही बेहद शर्मनाक है। कोरोना की अग्रिम पंक्ति की योद्धाओं आशाओं को तत्काल प्रभाव से काम पर वापस लिया जाय और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाय।”

नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि, “कोरोना लॉकडाउन काल में आशाओं ने फ्रंट लाइन वर्कर्स की भूमिका का निर्वहन बखूबी अपनी जान को जोखिम में डालकर भी किया है लेकिन उसके लिए उनको कोई भी भत्ता नहीं दिया गया है, बल्कि इसके ठीक उलट अपने काम का दाम मांगने वाली आशाओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।”

प्रीति रावत ने कहा कि, “आशाओं को मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ तो लगातार बढ़ाया गया है लेकिन उसका भुगतान नहीं किया जाता। यदि काम बढ़ाना है तो उसका पैसा उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए।”

महिला अस्पताल में प्रदर्शन के माध्यम से मांग की गई कि चम्पावत जिले की आशाओं को निकालने का आदेश तत्काल बिना शर्त वापस लिया जाय, आशाओं को कोरोना महामारी के समय का लॉकडाउन भत्ता दस हजार रुपए मासिक की दर से भुगतान किया जाय, आशाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा देते हुए 18000 रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाय,

जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाय, आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान किया जाय, सेवा(ड्यूटी) के समय दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाय और न्यूनतम दस लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया जाय।

यूनियन ने चेतावनी देते हुए कहा कि आज 6 जुलाई को विभिन्न आशा यूनियनें संयुक्त रूप से पूरे राज्य में धरना-प्रदर्शन कर रही हैं यदि इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं की गई तो हमें पूरे राज्य में अन्य आशा यूनियनों के साथ मिलकर उग्र आंदोलनात्मक कार्यवाही को बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार व आशा उत्पीड़न करने वाले प्रशासन की होगी।

प्रदर्शन में मुख्य रूप से रिंकी जोशी, प्रीति रावत, रीना बाला, भगवती बिष्ट, कमला आर्य, मंजू रावत, चम्पा मेहरा, सलमा, गंगा आर्य, दीपा आर्य, पूनम बोरा, सावित्री अधिकारी, पूनम आर्य, बीना उपाध्याय, हेमा दुर्गापाल, रेखा आर्य, मीना शर्मा, चंद्रकला, रेशमा, शिवकुमारी, अंजना, कामरुन्निशा, आल्मा आदि बड़ी संख्या में आशाएँ मौजूद रहीं।

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