ज्ञानवापी मस्जिद में आज वीडियोग्राफी और सर्वे,जानिये कमेटी क्यों कर रही है विरोध, फोर्स तैनात, अयोध्या के बाद काशी ?
वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमिश्नर आज सर्वेक्षण करेंगे, जिसके लिए ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है। सर्वेक्षण का काम आज शाम 4:00 बजे से शुरू होगा। सर्वेक्षण टीम में पक्ष और विपक्ष के कुल 36 लोग शामिल होंगे। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में आज सर्वे किया जाएगा। कोर्ट के आदेश पर आयोग की टीम शुक्रवार दोपहर पहुंचेगी। इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के साथ वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। हालांकि, मीडिया को अनुमति नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने विडियोग्राफी पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि वे मस्जिद के अंदर किसी भी वीडियोग्राफी के विरोध में हैं और शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध करेंगे।
कोर्ट के आदेश पर आज पहली बार ज्ञानवापी परिसर का सर्वे होने जा रहा है। इसके तहत श्रृंगार गौरी और विग्रहों का सर्वे किया जाएगा। वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। कोर्ट ने इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। सर्वे के तहत देखा जाएगा कि श्रृंगार गौरी और दूसरे विग्रह और देवताओं की स्थिति क्या है।
दूसरी ओर अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी जो कि ज्ञानवापी मस्जिद की संस्था है, इसके विरोध में है। कमेटी का कहना है कि मस्जिद के अंदर कोई सर्वे नहीं किया जाना चाहिए। सर्वे को लेकर पुलिस और प्रशासन अलर्ट है। विरोध के ऐलान के मद्देनज़र सर्वे के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे। कोर्ट के आदेश पर आज शाम को सर्वे कराने की पूरी तैयारी प्रशासन ने कर ली है। आइए जानते हैं कि काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद है क्या? क्या अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद से इसकी कोई समानता है? आज के सर्वे के क्या मायने हैं और इसकी मांग को लेकर अदालत में गए पक्ष और विरोध कर रहे पक्ष के तर्क क्या हैं?
क्यों हो रहा है आज का सर्वे?
सबसे पहले आज होने वाले सर्वे की पृष्ठभूमि समझ लेते हैं। दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त रूप से सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में याचिका दायर कर मांग की थी कि काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए। आदि विश्वेश्वर परिवार के विग्रहों की यथास्थिति रखी जाए। सुनवाई के क्रम में आठ अप्रैल 2022 को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया।
कोर्ट कमिश्नर ने 19 अप्रैल को सर्वे करने की तिथि से अदालत को अवगत कराया। इससे एक दिन पहले 18 अप्रैल को जिला प्रशासन ने शासकीय अधिवक्ता के जरिए याचिका दाखिल कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी पर रोक लगाने की मांग की। उधर, 19 अप्रैल को विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रोकने की गुहार लगायी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। 20 अप्रैल को निचली अदालत ने भी सुनवाई पूरी की। 26 अप्रैल को निचली अदालत ने ईद के बाद सर्वे की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।
आदेश के तहत कोर्ट कमिश्नर आज यानी छह मई को सर्वे करेंगे। प्रकरण में अगली सुनवाई 10 मई को होनी है। वादी ने इस मामले में विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, डीएम, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजमिया मसाजिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया है। इसके पहले गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर ने अदालत में प्रार्थनापत्र देकर कमीशन के दौरान सुरक्षित स्थान और साक्ष्यों के रखने के लिए सुरक्षित जगह उपलब्ध कराने की गुहार लगाई थी। इस पर अदालत ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह कोर्ट कमिश्नर की मांगों पर उचित कार्रवाई कर अवगत कराएं।
सुप्रीम कोर्ट की टीम भी करेगी सर्वे की निगरानी
कमीशन की कार्रवाई के दौरान निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम पहुंच गयी है। वादी पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, पंकज गुप्ता और शिवम शुक्ल भी मौके पर मौजूद रहेंगे। हरिशंकर जैन ने अयोध्या राम मंदिर मुकदमे में भी हिंदू महासभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस की थी।
मुस्लिम पक्ष की दलील
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता रईस अहमद अंसारी, मुमताज अहमद और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड अभय यादव व तौफीक खान ने पक्ष रखा कि जब मंदिर तोड़ा गया तब ज्योतिर्लिंग उसी स्थान पर मौजूद था, जो आज भी है। उसी दौरान राजा अकबर के वित्तमंत्री राजा टोडरमल की मदद से स्वामी नरायण भट्ट ने मंदिर बनवाया था, जो उसी ज्योतिर्लिंग पर बना है।
ऐसे में ढांचा के नीचे दूसरा शिवलिंग कैसे आया। ऐसे में खुदाई नहीं होनी चाहिए। रामजन्म भूमि की तर्ज पर पुरातात्विक रिपोर्ट मंगाने की स्थितियां विपरीत थीं। उक्त वाद में साक्षियों के बयान में विरोधाभास होने पर कोर्ट ने रिपोर्ट मंगाई गई थी। जबकि यहां अभी तक किसी का साक्ष्य हुआ ही नहीं है। अभी प्रारम्भिक स्तर पर है। ऐसे में साक्ष्य आने के बाद विरोधाभास होने पर कोर्ट रिपोर्ट मांगी जा सकती है। सिर्फ साक्ष्य एकत्र करने के लिए रिपोर्ट नही मंगाई जा सकती है।
क्या है ज्ञानवापी विवाद
काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने और दोबारा बनने को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाएं और कहानियां चली आ रही हैं। हालांकि इन धारणाओं की कोई प्रमाणिक पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। बड़ी संख्या में लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। इसकी जगह पर उसने यहां एक मस्जिद बनवाई थी।
जबकि कुछ इतिहाकारों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 14 वीं सदी में हुआ था और इसे जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने बनवाया था। लेकिन इस पर भी विवाद है। कई इतिहासकार इसका खंडन करते हैं। उनके मुताबिक शर्की सुल्तानों द्वारा कराए गए निर्माण के कोई साक्ष्य नहीं मिलते हैं। न ही उनके समय में मंदिर के तोड़े जाने के साक्ष्य मिलते हैं। दूसरी तरफ काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का श्रेय राजा टोडरमल को दिया जाता है।
कहा जाता है कि राजा टोडरमल ने ही 1585 में दक्षिण भारत के विद्वान नारायण भट्ट की मदद से कराया था। ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के बारे में कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अकबर के जमाने में नए मजहब ‘दीन-ए-इलाही’ के तहत मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण कराया गया था। ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि औरंगजेब ने मंदिर के तुड़वा दिया था। लेकिन मस्जिद अकबर के जमाने में ‘दीन ए इलाही’ के तहत बनाई गई या औरंगजेब के जमाने में इसको लेकर जानकारों में मतभेद हैं। अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद के पदाधिकारी किसी प्राचीन कुएं और उसमें शिवलिंग होने की धारणा को भी नकारते हैं। उनका कहना है कि वहां ऐसा कुछ भी नहीं है।
कमीशन के साथ ये रहेंगे मौजूद
कमीशन की कार्रवाई के दौरान कोर्ट आयुक्त सहित 36 सदस्यों की मौजूदगी रहेगी। पक्षकार व उभयपक्ष के साथ उनके एक-एक वकील व सहयोगी रहेंगे। वादी के तौर पर राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक याची हैं। विपक्ष में विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, डीएम, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजमिया मसाजिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से तीन लोग रहेंगे। कोर्ट कमिश्नर के साथ उनके दो और साथी अधिवक्ता रहेंगे। इसके अलावा वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर और कैमरामैन भी मौजूद रहेंगे। सभी लोगों की सूची पुलिस व प्रशासन को उपलब्ध करा दिया गया है। सभी सदस्यों को ज्ञानवापी में प्रवेश के लिए पत्र जारी होगा। सदस्यों को अपना पहचान पत्र मौके पर लाने के लिए कहा गया है।
मुस्लिम पक्ष का विरोध
मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि यदि कोर्ट कमिश्नर वहां घुसते हैं उनके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा। मुस्लिम पक्ष इस पर अड़ा है कि अदालत का आदेश मस्जिद के अंदर प्रवेश करने का नहीं है इसलिए उसमें प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी।
कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली कमेटी के लोगों का कहना है कि यह श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर सुरक्षा प्लान का सरासर उल्लंघन है. यही वजह है कि मुस्लिम समुदाय कोर्ट के आदेश के बावजूद किसी भी हाल में कमीशन को सर्वे और वीडियोग्राफी के लिए मस्जिद में घुसने की इजाजत नही देगा. जनसत्ता में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एसएन यासीन का कहना है कि 1993 में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर के लिए एक सुरक्षा प्लान बनाया गया था. इस सुरक्षा प्लान में फैसला लिया गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद में मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा किसी और को प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी.
यासीन का कहना है कि यहां की वीडियोग्राफी होगी, तो संभव है कि वीडियो को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जाए. जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. अगर ऐसा होता है, तो सुरक्षा प्लान का मतलब ही क्या रह जाएगा? कोर्ट के आदेश की अवहेलना के सवाल पर यासीन का कहना है कि वे अंजाम भुगतने के लिए तैयार हैं. लेकिन, मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर किसी को भी घुसने नहीं दिया जाएगा.
हिन्दू पक्ष की दलील
प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में अपील की थी कि काशी विश्वनाथ मंदिर व विवादित ढांचास्थल का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया जाये। दावा किया कि ढांचा के नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के जुड़े पुरातात्विक अवशेष हैं।
कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के 9130, 9131, 9132 रकबा नं. एक बीघा 9 बिस्वा लगभग जमीन है। उक्त जमीन पर मंदिर का अवशेष है। 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथमतल में ढांचा और भूतल में तहखाना है। इसमें 100 फुट गहरा शिवलिंग है। मंदिर का 1780 में अहिल्यावाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था। यह भी कहा कि 100 वर्ष तक 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं रहा।
बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास के विभागाध्यक्ष एएस अल्टेकर ने बनारस के इतिहास में लिखा है कि प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग 100 फीट का था। अरघा भी 100 फीट का बताया गया है। लिंग पर गंगाजल बराबर गिरता रहा है, जिसे पत्थर की पटिया से ढक दिया गया। यहां शृंगार गौरी की पूजा-अर्चना होती है। तहखाना यथावत है। यह खुदाई से स्पष्ट हो जाएगा।
श्रृंगार गौरी केस में कब क्या हुआ
-श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा के लिए 17 अगस्त 2021 को वाद दाखिल किया गया। इस वाद को 18 अगस्त को किया गया।
-कोर्ट ने मुख्य सचिव यूपी, वाराणसी जिला प्रशासन, वाराणसी पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भेजा।
-इसके साथ कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया।
-8 अप्रैल 2022 सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर कमीशन और वीडियोग्राफी का आदेश दिया। यह कार्यवाही 19 अप्रैल को होनी थी
कार्रवाई से ठीक एक दिन पहले वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने सुरक्षा कारणों और मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मी और मुस्लिमों के ही जाने की अनुमति देने की बात बताकर कार्रवाई को रोकने की मांग की।
-19 अप्रैल 2022 को प्रतिवादी वाराणसी पुलिस-प्रशासन, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और वादी श्रृंगार गौरी के बीच बहस हुई इसके बाद अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए 26 अप्रैल 2022 को अगली तारीख तय कर दी। कोर्ट ने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई कराने और 10 मई से पहले कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 10 मई को होगी।
अयोध्या विवाद से क्या है समानता
अयोध्या में विवाद इस बात को लेकर था कि क्या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाया गया। लंबे आंदोलन और कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवम्बर 2019 को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया। इसके साथ ही सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। सु्प्रीम कोर्ट के इस आदेश पर अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। इस बीच अब काशी और मथुरा को लेकर भी मांग जोर पकड़ने लगी है।
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