उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च को अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा किया. इस एक साल के दरम्यान धामी सरकार के सामने कई चुनौतियां आईं तो धर्मांतरण विरोधी कानून बनाना, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देना, नकल विरोधी कानून बनाना इस सरकार की उपलब्धि भी रही. धामी सरकार भी जल्द अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी. आइए जानते हैं क्या हैं सीएम उपलब्धियां और चुनौतियां…
सीएम पुष्कर धामी के नेतृत्व में पिछले साल बीजेपी ने चुनावी अखाड़े में विरोधी दलों को चुनौती दी. धामी के नेतृत्व में बीजेपी ने 70 विधानसभा सीट वाले राज्य में दो तिहाई बहुमत के साथ 47 सीटें हासिल कीं लेकिन खुद सीएम ने अपनी सीट गंवा दी. जिसके बाद संगठन पूरी तरह से असहज हो गया. चुनौतियों के बीच धामी ने फिर से सीएम की कुर्सी हासिल की और 23 मार्च 2022 को 8 मंत्रियों के साथ शपथ ली.
धामी सरकार की उपलब्धि
यूजीसी के गठन के धामी सरकार आगे बढ़ी.
चम्पावत चुनाव में सीएम धामी ने 94 फीसद मत हासिल कर विजय पाई.
महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण.
जबरन धर्मांतरण पर सख्त कानून.
सख्त नकल विरोधी कानून
आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण.
पेपर लीक प्रकरण में 80 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी.
हरिद्वार पंचायत चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में कर्मचारी बर्खास्त.
धामी सरकार का एक साल का कार्यकाल चुनौतियों से निपटने और सख्त फैसले लेने में गुजर गया। 12 महीने की अवधि में शायद ही किसी महीने धामी सहज हुए हों। उन्होंने एक चुनौती से पार पाया तो दूसरी ने दरवाजे पर दस्तक दे दी।
इनमें भर्ती परीक्षा घोटाला, अंकिता हत्याकांड और जोशीमठ आपदा की चुनौती ने धामी सरकार को सबसे ज्यादा मुश्किल में डाला। इन चुनौतियों से जूझते हुए उन्होंने कई सख्त फैसले लिए और महिलाओं और राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कानून बनाए।
महिला आरक्षण : उच्च न्यायालय ने महिलाओं के सरकारी नौकरियों में 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई। धामी सरकार ने कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां से राहत मिलने के बाद कानून बना दिया।
आंदोलनकारियों का आरक्षण : राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण का भी सरकार पर दबाव बना। सीएम धामी ने राजभवन से सात साल से लंबित पड़े विधेयक को वापस मंगवाया और कैबिनेट ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने का फैसला लिया।
धर्मांतरण पर रोक : धामी सरकार में जबरन धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त बना दिया गया। इसमें 10 साल तक सजा का प्रावधान किया गया।
नकल विरोधी कानून : प्रतियोगी परीक्षाओं में घपला सामने आने के बाद सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया और इसमें 10 साल तक की सजा और संपत्ति जब्त करने के कठोर प्रावधान किए।
विस बैकडोर भर्ती : विधानसभा में बैकडोर से लगे 228 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। स्पीकर के अनुरोध पर सरकार ने इसकी अनुमति दे दी।
डबल जीडीपी : पांच साल में प्रदेश की राज्य के सकल घरेलू उत्पाद दर को दोगुना करने का लक्ष्य बनाया। 2025 तक सशक्त उत्तराखंड बनाने के लिए पहली बार नौकरशाही और मंत्रियों ने मसूरी में चिंतन किया और विकास के एजेंडे के अनुरूप अपनी नीतियां तय कीं ।
इन मुश्किलों ने असहज किया
ऋषिकेश में अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार और संगठन को मुश्किल में डाला। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। सरकार को एसआईटी से जांच कराई।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले में भी सरकार असहज हुई। एसटीएफ और एसआईटी को जांच दी गई। सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में दोनों जांच कराने का फैसला लिया।
नकल करने और कराने में लिप्त 80 से अधिक लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण मामला बेशक रेलवे से जुड़ा था, लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर भी दबाव दिखा।
जोशीमठ में भू धंसाव की घटना ने सरकार को कठिन चुनौती में डाल दिया। सरकार को एनटीपीसी और आसपास चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी पड़ी। प्रभावितों के लिए पुनर्वास नीति बनाई। पहली बार केंद्रीय एजेंसियों से जोशीमठ भू धंसाव क्षेत्र की तकनीकी जांच कराई। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया।
सीएम के सामने सबसे पहली परीक्षा उपचुनाव की थी, जिसे उन्होंने 94 फीसद मत के साथ पास किया। हरिद्वार पंचायत चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत का इतिहास रचा।
धामी सरकार की उपलब्धि
यूजीसी के गठन के धामी सरकार आगे बढ़ी.
चम्पावत चुनाव में सीएम धामी ने 94 फीसद मत हासिल कर विजय पाई.
महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण.
जबरन धर्मांतरण पर सख्त कानून.
सख्त नकल विरोधी कानून
आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण.
पेपर लीक प्रकरण में 80 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी.
हरिद्वार पंचायत चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में कर्मचारी बर्खास्त.
यह रही सीएम धामी के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष की चुनौतियां
ऋषिकेश में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार की काफी किरकिरी हुई.
UKSSSC और UKPSC पेपर लीक मामले में यह विपक्ष के निशान पर रही.
देहरादून में धरना दे रहे बेरोजगारों पर लाठीचार्ज किया गया.
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण मामला.
जोशीमठ के कई मकानों में अचानक ही दरार आने लगी.
2022 में चारधाम यात्रा का संचालन भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा.
दूसरे साल की नई चुनौतियां
चारधाम यात्रा : यात्रा से पहले ही चारों धामों की तीर्थ पुरोहित और कारोबारी धामों में यात्रियों की संख्या को सीमित करने का विरोध कर रहे हैं। सरकार के सामने 22 अप्रैल से शुरू हो रही यात्रा को सुगम, सुरक्षित बनाने की चुनौती है।
निकाय चुनाव : इस साल नवंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव के परिणाम धामी सरकार के प्रदर्शन से जोड़कर देखे जाएंगे।
लोकसभा चुनाव : सीएम के सामने 2024 के चुनाव की भी चुनौती है। भाजपा में लोकसभा की पांचों सीटें जीतने का दंभ भर रही है।
सशक्त उत्तराखंड : सरकार ने सशक्त उत्तराखंड का लक्ष्य बनाया है। इस लक्ष्य का पूरा करने के लिए उसने जो नीतियां और योजनाएं तैयार की हैं, उन्हें जमीन पर उतारने की भी सरकार पर बड़ी चुनौती है।
देवभूमि की नई कहानी – सस्ती शराब महंगा पानी
उत्तराखंड सरकार ने आबकारी नीति में संशोधन किया है जिसके बाद यहां अब शराब के दामों में कमी आएगी. हालांकि 1 अप्रैल से पानी के बिलों में 15 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हो जाएगा और उपभोक्ताओं को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.
उत्तराखंड में 1 अप्रैल से पानी और बिजली के इस्तेमाल के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी। 15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ ही पानी की दर प्रति तिमाही 150 से लेकर 200 रुपये तक महंगी हो जाएगी। वहीं बिजली के दाम भी 12 फीसदी तक बढ़ेंगे। उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग को भेज दिया है। इस हफ्ते होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। इससे प्रदेश के 27 लाख 50 हजार उपभोक्ता प्रभावित होंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम की बैठक में हुए प्रस्ताव में 17 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की बात प्रपोज की गई। लेकिन आयोग ने इसे 12 फीसदी कर दिया।
उत्तराखंड सरकार ने आबकारी नीति में संशोधन किया है जिसके बाद यहां अब शराब के दामों में कमी आएगी. हालांकि 1 अप्रैल से पानी के बिलों में 15 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हो जाएगा और उपभोक्ताओं को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी. वहीं, उत्तराखंड कैबिनेट ने गोवंश संरक्षण, खेलकूद और महिला कल्याण के लिए तीन रुपये अतिरिक्त सेस की भी व्यवस्था करने की घोषणा की है. सरकार का दावा है कि इससे विभागों को हर महीने करोड़ों का रेवेन्यू मिलेगा. सरकार इसे प्रदेश के रेवेन्यू को लेकर एक अच्छा कदम बता रही है.
उधर, कांग्रेस ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने जहां शराब सस्ती कर दी वहीं 1 अप्रैल से पानी के दाम में इजाफा हो रहा है. प्रदेश में शराब नीति में हुए संशोधन के बाद बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है. सरकार ने जहां आबकारी से चार हज़ार करोड़ के रेवेन्यू का लक्ष्य रखते हुए नए संशोधन किए हैं वहीं कांग्रेस इसको लेकर बीजेपी पर हमलावर हो चुकी है. कांग्रेस का आरोप है कि देवभूमि में सरकार शराब सस्ती कर रही है वहीं खाने की चीज़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
शराब सस्ती करने के पीछे मंत्री ने बताई यह वजह
सरकार के मंत्री इस फैसले का स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं. खेल मंत्री रेखा आर्य ने कैबिनेट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि जिस तरह से महिला कल्याण, गोवंश संरक्षण और खेलकूद के लिए अलग से सेस की व्यवस्था की है, उससे निश्चित तौर पर विभागों को अच्छा रेवेन्यू मिलेगा. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में शराब, उत्तराखंड से सस्ती थी और ऐसे में कई बार शराब की तस्करी भी होती रही है. सरकार ने इसको रोकने के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
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