देश में उत्तराखंड को अलग पहचान दिला रहा है,प्रदेश के यह गांव..खासियत जानकर चौक जायगे आप..

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टिहरी गढ़वाल 28.10.2020 GKM NEWS उत्तराखंड के गांवों के आपने अलग अलग महत्व देखा होगा । अलग अलग गांवो की अपनी अलग ही पहचान है। आज हम आपकों एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है जिसे पनीर विलेज कहा जाता है और यहां के पनीर की डिमांड टिहरी उत्तरकाशी मसूरी देहरादून दिल्ली तक है.

टिहरी जिले दूरस्थ जौनपुर ब्लाक के रौतू की बेली गांव का पनीर आज गांव की पहचान बन चुका है और इसे पनीर विलेज के नाम से जाना जाता है…करीब 250 परिवार वाले रौतू की बेली गांव में 75 फीसदी से अधिक लोग खेतीबाड़ी और गाय भैंस पालते है और नगदी फसलों के उत्पादन के साथ ही ये लोग घरों में पनीर बनाते है जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है…ग्रामीण प्रतिदिन 50 से 70 किलो तक पनीर का उत्पादन करते है जो दोपहर होने से पहले ही बिक जाता है.

.वहीं पनीर की गुणवत्ता इतनी बढ़िया है कि जो एक बार यहां से पनीर ले जाता है वो हमेशा और अधिक मात्रा में पनीर की डिमांड करता है जिससे हर परिवार को एक माह में 8 से 10 हजार की आमदनी होती है। रौतू की बेली गांव देहरादून-मसूरी-उत्तरकाशी- टिहरी को जोड़ने वाले थत्यूड़- भवान सड़क के किनारे बसा है और ग्रामीण शाम को पारम्परिक तरीके से पनीर बनाते है और सुबह सड़क किनारे दुकानों में ही पनीर बेचते है..

.ग्रामीणों का कहना है कि शुद्धता और गुणवत्ता के कारण ही उनके यहां पनीर की डिमांड लगातार बढ़ रही है और यदि सरकार मदद करे तो वो इस रोजगार को और बढ़ा सकते है और उन्हें मार्केट मिल जाएगी तो और लोगों को भी रोजगार मिलेगा। रौतू की बेली गांव के ग्रामीणों की मेहनत आज अन्य ग्रामीणों के लिए भी एक बेहतरीन उदाहरण है जिससे गांव में ही स्वरोजगार को बढ़ावा देकर पलायन को रोका जा सकता है और वहीं कोविड के चलते बेरोजगार हुए लोगों को भी इससे रोजगार मिल सकता है.

बाइट दीपेन्द्र नौटियाल (स्थानीय निवासी)

बाइट भागसिंह भंडारी (ग्राम प्रधान)

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