उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को दिये आदेश..दोषियों के खिलाफ तत्काल करें कार्यवाही , सी. टी. आर. में अवैध निर्माण मामला
नैनीताल : उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के मामले पर सुनवाई की,कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने मामले को सुनने के बाद अतिक्रमण को लेकर
मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव पर्यावरण को दिशा निर्देश दिए है। खण्डपीठ ने निर्देश देते हुए कहा है कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में मोरघटि, पाखरो क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण पर मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार एवं प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख सचिव पर्यावरण से तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर उसकी रिपोर्ट 14 फरवरी तक कोर्ट में पेश करे। मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार उच्च न्यायालय ने देहरादून निवासी अनु पंत व स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली दो अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। अनु पंत द्वारा बताया गया की, जिस अधिकारी को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 1999 में विजिलेंस रिपोर्ट में दोषी पाया गया था, जिस पर जंगली जानवरों की खाल की खरीद फरोख्त जैसे गंभीर अपराधों की पुष्टि हुई थी, और यह स्पष्ट निर्णय लिया गया था की ऐसे अधिकारी को किसी संवेदनशील जगह तैनाती नहीं दी जाएगी, उसी वन प्रभागीय अधिकारी किशन चाँद को कालागढ़, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व जैसे अति संवेदनशील स्थान में तैनाती दी गयी। इसके उपरांत जब कॉर्बेट में अवैध निर्माण की गतिविधियां शुरू हुई और राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जाँच रिपोर्ट दायर की गयी, उसमें भी वन प्रभागीय अधिकारी किशन चाँद को इस पूरे अवैध निर्माण के लिए दोषी पाया गया। इस के बाद, हाई कोर्ट के दिशा निर्देश में उच्च स्तरीय समिति गठित हुई। उस उच्च स्तरीय समिति में वन विभाग के विभागाध्यक्ष राजीव भर्तरि की अध्यक्षता में , एक और रिपोर्ट द्वारा भी किशन चाँद को ही इस सभी गढ़बड़ी के पीछे दोषी पाया गया, और तत्कालीन मुख्य वन परिपालक, जबेर सिंह सुगह द्वारा, किशन चाँद पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी इसका भी उल्लेख किया गया। बीच जाँच के दौरान ही वन मंत्री द्वारा किशन चाँद की तारीफ की गयी थी और हाई कोर्ट में रिपोर्ट दायर होने के बाद तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक, राजीव भर्तरि को शासन द्वारा पद से हटा दिया गया था।
शासन ने 25 नवम्बर को किशन चाँद को भी स्थानांतरण के आदेश पारित किये थे, परन्तु उन आदेशों का कभी क्रियान्वयन नहीं किया गया और किशन चाँद आज तिथि तक दुसरे अधिकारी को चार्ज नहीं सौंप रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण को बहुत गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने पूछा की जाँच के दौरान, वरिष्ठ अधिकारियों का इस तरीके से स्थानांतरण किस आधार पर किया गया। इस के अतिरिक्त उच्च न्यायालय ने अपना विस्तृत आदेश पारित किया, जिसमें प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं मुख्य सचिव प्रशासन को यह दिशा निर्देश दिए गए है कि वह दोषी पाये गए अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करे और चार्ज हैंड ओवर सुनिश्चित करें । दूसरी जनहित याचिका में कोर्ट ने कार्बेट नेशनल पार्क में हो रहे अवैध निर्माण पर स्वतः संज्ञान लिए है ।जिसमे कहा गया कि कोर्बेट पार्क में बन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण कार्य किये जा रहे है। जिससे पार्क का क्षेत्रफल कम हो रहा है । मानवी आवागमन से जंगली जानवर प्रभावित हो रहे है।इस पर रोक लगाई जाए और दोषी अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही की जाय।
बाईट :- अभिजय नेगी, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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