उत्तराखण्ड के रामनगर में अवैध खनन को लेकर दायर जनहीत याचिका में सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से मौखिक तौर पर कहा है कि शपथपत्र के माध्यम से अवैध खनन को रोकने के लिए प्लान प्रस्तुत करें। न्यायालय ने कहा कि पूर्व के आदेश को संशोधन करने से पहले प्लान पेश करें।
गुलजारपुर निवासी प्रिन्सपाल सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर जिले में रामनगर रेंज के गुलजारपुर के जंगलों से लगातार अवैध खनन हो रहा है। इसे तत्काल रोका जाए क्योंकि इससे वन संपदा को भारी नुक्सान हो रहा है। आज मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आज खनन से संबंधीत कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। पूर्व में न्यायालय ने अवैध खनन पर रोक लगाते हुए एंटी माइनिंग फोर्स गठित करने को कहा था, साथ में ड्रेजिंग पर रोक लगाते हुए कहा था कि नदियों से ड्रेजिंग, सरकारी एजेंसियों के द्वारा ही की जाए।
ड्रेजिंग के दौरान उनसे निकलने वाली माइनिंग सामग्री का परिवहन नहीं किया जाएगा। इस आदेश को संसोधन करने के लिए आज राज्य सरकार की तरफ से संसोधन प्रार्थनापत्र दाखिल हुआ। इसमें कहा गया कि इस आदेश को संसोधित किया जाय क्योंकि न्यायालय ने ड्रेजिंग के दौरान निकलने वाली माइनिंग सामग्री को बाहर ले जाने की अनुमति पर रोक लगाई है। इस वजह से राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ का नुकसान हो रहा है और विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए पूर्व के आदेश को संसोधित किया जाय।
पूर्व में न्यायालय ने अवैध खनन की जाँच कराने के लिए अधिवक्ता आलोक मैहरा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए दो सप्ताह में स्थलीय निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। आज उनकी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश हुई। रिपोर्ट में कहा गया कि अवैध खनन से रिवर बैड में बड़े बडे गड्ढे हुए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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