उत्तराखंड : सबूतों के आभाव में दंगे के ये 5 आरोपी दोषमुक्त,4 लोगों की हुई थी हत्या

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रुद्रपुर : 11 साल पहले ऊधम सिंह नगर के रुद्रपुर में हुए दंगे के दौरान हुई हत्या के पांच आरोपितों को अपर जिला जज तृतीय रजनीश शुक्ला की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। जबकि 32 लोगों की सुनवाई जारी है। मुकदमा तत्कालीन कोतवाल आरएस असवाल ने दर्ज कराया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता और जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष दीवाकर पांडेय ने बताया कि 2 अक्टूबर, 2011 को रुद्रपुर में दंगा भड़क गया था। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई सौ करोड़ रुपये की संपत्ति आग की भेंट चढ़ गई थी। मामले में पुलिस ने कई लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार भी किया था।

इसी मामले में कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन विधायक राजकुमार ठुकराल के खिलाफ भी हत्या का मामला दर्ज हुआ था। उन्होंने बताया कि फिलहाल दंगे के केसों की सुनवाई जिला न्यायालय में चल रही है। इसमें रुद्रपुर दंगे में हुई चार लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार 37 नामजद की सुनवाई अपर जिला जज तृतीय रजनीश शुक्ला की अदालत में भी चल रहा था।

आरोपितों के अधिवक्ता और जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिवाकर पांडे ने बताया कि दंगे का यह पहला मूल मुकदमा था, जिसे कोतवाल आरएस असवाल ने दर्ज कराया था। अदालत ने पुलिस की विवेचना को संदिग्ध माना। पुलिस ने जिन लोगों को गवाह बनाया था, वही मुकर गए और उन्होंने अदालत में साफ कहा कि जिस समय दंगा हुआ वह घर में थे और उनको कोई जानकारी नहीं है। साक्ष्य के अभाव में अदालत ने 37 आरोपितों में से पांच आरोपित सलीम अहमद, मन्नू शर्मा, विजय यादव, जॉनी भाटिया, नवरत्न गंगवार को दोषमुक्त करार दिया है।

क्या हुआ था उस दिन

दो अक्टूबर 2011 को रुद्रपुर में धार्मिक किताब फाड़कर फेंकने और उस पर मांस फेंकने के कारण दंगा भड़क गया था। इस दौरान चार लोगों की मौत के साथ ही पांच दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही करोड़ों की संपत्ति भी राख हो गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए तब तत्कालीन जिलाधिकारी व एसएसपी को हटा दिया था। इस मामले में पुलिस ने करीब चार दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ नामजद और करीब डेढ़ सौ से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। यहीं नहीं बाद में कोर्ट के आदेश पर विधायक राजकुमार ठुकराल समेत कई अन्य के खिलाफ भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। बाद में रुद्रपुर दंगे की जांच शासन के आदेश पर सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी।

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