राखी – आँचल का कोना फाड़ कर सीएम की कलाई पर बांध दिया_ आपदा में ये भावुक लम्हे.. Video

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जब प्रकृति विकराल रूप लेती है, तब अक्सर मनुष्य का साहस, समर्पण और संवेदना ही उसे संभाल पाती है। उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में आई हालिया आपदा ने जहां पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया, वहीं एक ऐसा क्षण भी सामने आया जिसने यह साबित कर दिया कि मानवीय रिश्ते और भावनाएं किसी भी संकट से बड़ी होती हैं। यह क्षण था एक बहन के राखी बाँधने का लेकिन यह राखी रेशम की नहीं थी, यह थी एक मां की ममता और कृतज्ञता से सने आँसुओं की डोर, जो फटी हुई चुनरी के एक टुकड़े में बँधकर सामने आई।

5 अगस्त को अचानक आई भारी बारिश और भूस्खलन ने धराली क्षेत्र को अस्त-व्यस्त कर दिया। तेज बहाव, मलबे और टूटी सड़कों ने संचार और आवागमन को पूरी तरह ठप कर दिया। इस प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों लोग फँस गए थे, जिनमें गुजरात के अहमदाबाद निवासी श्रीमती धनगौरी बरौलिया भी थीं, जो अपने परिवार के साथ पवित्र गंगोत्री धाम की यात्रा पर थीं।

मार्ग अवरुद्ध हो चुके थे, और राहत पहुँचाना आसान नहीं था। ऐसे में राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं मोर्चे पर डटे रहे और लगातार तीन दिनों से राहत एवं बचाव कार्यों की जमीनी निगरानी कर रहे थे।

7 अगस्त को, रक्षाबंधन से ठीक एक दिन पहले, जब श्रीमती बरौलिया और उनका परिवार राहत टीमों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाले गए और वे मुख्यमंत्री से मिले, तो वहाँ कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे वातावरण को भावनाओं से भर दिया। आभार और भावुकता से भरी श्रीमती बरौलिया ने अपने आँचल का एक कोना फाड़ा, उसे राखी की तरह बाँधा, और मुख्यमंत्री श्री धामी की कलाई पर बाँध दिया।

यह कोई औपचारिकता नहीं थी। यह एक माँ का आशीर्वाद था, एक बहन का स्नेह था और एक आम नागरिक का धन्यवाद। उस पल, सत्ता और सामान्य नागरिक के बीच की सारी दीवारें ढह गईं। वहाँ खड़े अधिकारी, जवान, पत्रकार सभी की आँखें भर आईं।

मुख्यमंत्री धामी ने इस अनोखी राखी को अत्यंत विनम्रता से स्वीकार करते हुए कहा,
” राज्य का हर नागरिक मेरा परिवार है। आपदा की इस घड़ी में मैं और मेरी पूरी सरकार, हर एक व्यक्ति के साथ हैं। जब तक आखिरी प्रभावित व्यक्ति सुरक्षित नहीं हो जाता, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार न सिर्फ राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई है, बल्कि पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए दीर्घकालिक योजनाएं भी तैयार कर रही है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से जन-जीवन कम प्रभावित हो।

धराली की घाटी में जन्मी एक मिसाल

धराली, जहाँ आमतौर पर केवल कठिन जीवन और दुर्गमता की चर्चा होती है, आज मानवता, भाईचारे और आपसी जुड़ाव की मिसाल बन गया। वहाँ केवल एक महिला ने राखी नहीं बाँधी, बल्कि उसने संकट के बीच भी रिश्तों की मिठास, आशा की लौ और विश्वास की अटूट डोर को बाँध दिया।

यह केवल एक समाचार नहीं है यह उस समाज की तस्वीर है जहाँ आपदा के बीच भी भावनाएं जीवित हैं, जहाँ एक नेता केवल प्रशासनिक मुखिया नहीं, बल्कि एक भाई, एक रक्षक और एक सहारा बनकर सामने आता है।

राखी की डोर से बंधा उत्तराखंड

रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं, वह एक भावना है । सुरक्षा की, स्नेह की और संबंधों की। धराली की यह राखी, मुख्यमंत्री की कलाई पर नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की चेतना पर बाँधी गई है। यह याद दिलाती है कि जब कोई संकट आता है, तो उत्तराखंड का हर नागरिक एक-दूसरे के साथ खड़ा होता है चाहे वह एक पीड़ित तीर्थयात्री हो या स्वयं राज्य का मुखिया।

इस मार्मिक घटना ने यह जता दिया कि मानवता जब साथ हो, तो कोई भी आपदा इतनी बड़ी नहीं कि उसे पार न किया जा सके।

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