उत्तराखंड को अलग पहचान दिला रहा टिहरी का यह मॉडल होम स्टे विलेज..
टिहरी गढ़वाल 04.November 2020 GKM NEWS टिहरी जिले में मॉडल होम स्टे विलेज के रूप में अपनी पहचान बना चुका तिवाड़ गांव अब गढ़वाली खाने और बर्ड वॉचिंग के जरिए पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है. यहां आने वाले पर्यटक होम स्टे में गढ़वाली खाने के साथ साथ उसे बनाना भी सीख रहे है जिसको लेकर उनमें खासा उत्साह दिख रहा है देखिए एक रिपोर्ट टिहरी बांध की झील से सटा तिवाड़ गांव में 22 से अधिक होम स्टे है जिस कारण इसे मॉडल होम स्टे विलेज के नाम से जाना जाता है…
अनलॉक के बाद पर्यटक जहां प्राकृतिक सुंदरता को देखने तिवाड़ गांव पहुंच रहे है वहीं गढ़वाली खाना भी उन्हें खासा पसंद आ रहा है जिससे लॉक डाउन के चलते बेरोजगार हुए चुके युवक भी स्वरोजगार से जुड़ रहे है…
यहां गढ़वाली खाने में उन्हें कड़ी,फाणा,रोटाना,अर्से,कापली दिए जा रहे है जो स्वादिष्ट होने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले है..वहीं बर्ड वॉचिंग और प्राकृतिक सुंदरता के अध्ययन के लिए दूर दराज से वैज्ञानिक भी यहां पहुंच रहे है.. वहीं पर्यटक अब ग्रामीण महिलाओं से इसे बनाने का तरीका भी सीख रहे है..
आपकों बतां दें तिवाड़ गांव में 2014 में वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् डॉ एके साहनी द्वारा ग्रामीण को होम स्टे बनाने के लिए जागरूक किया गया जिसके बाद पर्यटन विभाग की योजनाओं के द्वारा यहां होम स्टे डेवलेप होने शुरू हो गए..
.होम स्टे के जरिए जहां लोग स्वरोजगार से जु़ड़े है वहीं अब गांव की महिलाएं स्थानीय उत्पादों से बना खाना पर्यटकों को खिला रही है जिससे पर्यटक काफी खुश है वहीं स्थानीय महिलाएं भी अब खुद को स्वाबिलम्बी महसूस कर रही है. होम स्टे जहां धीरे धीरे पर्यटन गतिविधियां पटरी पर लौट रही है वहीं टिहरी का तिवाड़ गांव आज झील से सटे आसपास के गांवों के लिए स्वरोजगार का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है जहां लोगों ने खुद के प्रयासों से अपने गांव को एक अलग पहचान दिलाई है।
बाइट डॉ एके साहनी (वैज्ञानिक और पर्यावरणविद)
बाइट। कुलदीप पंवार
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